छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जिले के घुटरा गांव में रहने वाले एक 42 वर्षीय व्यक्ति का नाम ‘राष्ट्रपति’ है — और इसकी वजह न तो कोई खास मान्यता है और न ही परिवार की कोई परंपरा, बल्कि यह नाम स्कूल में हुई एक साधारण सी गलती का नतीजा है।
व्यक्ति बताते हैं कि उनके माता-पिता ने उनका नाम ‘राजपति’ रखा था। लेकिन जब उन्होंने स्कूल में दाखिला लिया, तो शिक्षकों की गलती से उनका नाम ‘राष्ट्रपति’ लिख दिया गया। चौथी कक्षा तक पहुंचने पर उन्होंने इस गलती की जानकारी दी, लेकिन नाम दुरुस्त करने की प्रक्रिया से बचने के लिए शिक्षकों ने इसे जस का तस रहने दिया।
अब पहचान ही बन गया है ‘राष्ट्रपति’ नाम
समय के साथ यह नाम सभी सरकारी दस्तावेजों में दर्ज होता गया, यहां तक कि आधार कार्ड में भी यही नाम दर्ज है। केवल आठवीं तक पढ़े राष्ट्रपति कहते हैं कि जब वे अपना नाम किसी को बताते हैं, तो लोग पहले हैरान हो जाते हैं और अक्सर मज़ाक समझते हैं। उन्हें अपना पहचान पत्र दिखाना पड़ता है।
उनका कहना है, “हालांकि यह नाम एक गलती से पड़ा, लेकिन आज ये मेरी पहचान बन गया है। जब लोग ‘राष्ट्रपति’ सुनते हैं, तो सम्मान से देखते हैं।”
शिक्षकों की लापरवाही बनी नाम बदलने की वजह
राष्ट्रपति बताते हैं कि जब उनका नाम पहली बार स्कूल के दाखिला रजिस्टर में दर्ज किया गया, तो शिक्षकों ने असली नाम ‘राजपति’ को गलत पढ़कर ‘राष्ट्रपति’ लिख दिया। उन्होंने चौथी कक्षा में इस त्रुटि की ओर ध्यान दिलाया, लेकिन शिक्षकों ने रजिस्टर में सुधार करने के झंझट से बचने के लिए नाम में कोई बदलाव नहीं किया। नतीजतन, यही नाम आगे चलकर उनके सभी दस्तावेजों में दर्ज होता गया और अब उनकी पहचान बन गया है।
अब असली नाम वापस पाना चाहें तो क्या कर सकते हैं?
अगर राष्ट्रपति अपने असली नाम राजपति को फिर से सभी दस्तावेजों में दर्ज कराना चाहें, तो उन्हें सबसे पहले एक हलफनामा (affidavit) बनवाना होगा जिसमें नाम में बदलाव का स्पष्ट उल्लेख हो। इसके बाद स्थानीय समाचार पत्रों में नाम बदलने की सूचना प्रकाशित करानी होती है। फिर गजट (Gazette of India या राज्य गजट) में नाम परिवर्तन को दर्ज करवाना होगा। इन प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद वे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और अन्य दस्तावेजों में सुधार करा सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया समय लेने वाली और कुछ हद तक खर्चीली हो सकती है।
एक नाम की कहानी, जो बन गई पहचान
स्कूल की एक मामूली गलती ने एक व्यक्ति की पूरी पहचान बदल दी। जहां एक ओर यह घटना हमारी शैक्षणिक व्यवस्था की लापरवाहियों की ओर इशारा करती है, वहीं यह भी दिखाती है कि किस तरह इंसान हालातों को स्वीकार कर अपनी अलग पहचान बना सकता है। ‘राष्ट्रपति’ आज सिर्फ उनका नाम नहीं, बल्कि उनकी कहानी का हिस्सा बन चुका है — एक कहानी जो बताती है कि छोटी सी चूक भी जीवनभर का असर छोड़ सकती है।
नाम बदला, मगर हौसला नहीं
राजपति से राष्ट्रपति बनने की यह कहानी सिर्फ एक नाम बदलने की नहीं है, यह उस इंसान के आत्मविश्वास की मिसाल है जिसने हालात को कमजोरी नहीं, पहचान बना लिया। स्कूल की गलती ने उन्हें हंसी का पात्र भी बनाया, सवालों का सामना भी करना पड़ा — लेकिन उन्होंने कभी शर्म महसूस नहीं की। उल्टा, वे गर्व से कहते हैं कि उनका नाम देश के सबसे बड़े पद से जुड़ा है। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में गलतियां हों या बदलाव, अगर हिम्मत हो तो हर ठोकर भी पहचान बन सकती है।

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