CG High Court “छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को किया निरस्त, जान लीजिए वजह

राजेन्द्र देवांगन
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बिलासपुर– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक सत्र न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता (‘IPC’) की धारा 497 के तहत व्यभिचार का दोषी ठहराए जाने के आदेश को पलट दिया है , जिसमें शादी के झूठे आश्वासन पर एक अविवाहित महिला के साथ बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए व्यभिचार का दोषी ठहराया गया था।आरोपी-अपीलकर्ता को बरी करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने कहा- “ट्रायल कोर्ट द्वारा अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत दोषी ठहराया जाना कानून में गलत है, और इसलिए अपीलकर्ता IPC की धारा 497 के आरोप से बरी होने के लिए उत्तरदायी है।

शादी का झांसा देकर सेक्‍स करना अपराध नहीं,

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट मामले की पृष्ठभूमि: पीड़िता ने 10 जनवरी, 2015 को अपीलकर्ता के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि छह साल पहले, अपीलकर्ता ने उससे गुप्त तरीके से इस वादे के साथ शादी की थी कि जब उसकी छोटी बहन की शादी होगी, तो वह उचित रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उससे फिर से शादी करेगा। हालांकि, उनकी ‘गुपचुप शादी’ के पांच साल बाद भी, अपीलकर्ता उससे बचता था।

निचली अदालत का बदला फैसला

उसने आगे आरोप लगाया कि शादी के उन पांच वर्षों में, वह कई बार गर्भवती हुई, लेकिन हर बार अपीलकर्ता उसका गर्भपात करा देता था और उसे ठीक से शादी करने के लिए डेढ़ साल का समय देने के लिए कहता था।

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