बिलासपुर। बिलासपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की गैरहाजिरी और उनकी निजी प्रैक्टिस के चलते मरीजों को हो रही परेशानियों का मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने मीडिया में प्रकाशित खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
5 नवंबर को प्रकाशित खबर में बताया गया था कि बिलासपुर जिले के 503 डाक्टरों में से 268 डाक्टर निजी प्रैक्टिस में व्यस्त हैं, जिसके कारण वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। सिम्स, जिला अस्पताल और आयुर्वेदिक अस्पतालों में तैनात इन डाक्टरों के निजी अस्पतालों में काम करने के कारण सरकारी अस्पतालों में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र में जवाब देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ने इस स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या डाक्टरों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कोई गाइडलाइन है या नहीं। राज्य के महाधिवक्ता ने बताया कि नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) के नियम बनाए गए हैं, लेकिन चीफ जस्टिस ने इसे अप्रभावी बताते हुए नाराजगी जताई।
अस्पतालों में डाक्टरों की कमी और बायोमैट्रिक्स उपस्थिति में अनियमितता
बिलासपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में सिम्स में 250, जिला अस्पताल में 53 और आयुर्वेदिक अस्पताल में करीब 40 डाक्टर कार्यरत हैं। सीएमएचओ कार्यालय के अंतर्गत बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मिलाकर कुल 503 डाक्टर तैनात हैं, लेकिन इनमें से 268 डाक्टर निजी प्रैक्टिस करते पाए गए हैं। बायोमैट्रिक्स उपस्थिति के विश्लेषण से पता चला कि पिछले तीन महीनों में 47 डाक्टर समय पर नहीं पहुंच रहे हैं और कुछ डाक्टर शाम को गैरहाजिर पाए गए हैं।
अगली सुनवाई 13 नवंबर को
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