SC: ‘केंद्र-राज्य के बीच नहीं होना चाहिए टकराव’, सूखा राहत राशि से जुड़ी याचिका पर शीर्ष अदालत ने की सुनवाई..!
नई दिल्ली:-शीर्ष अदालत ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें सूखा प्रबंधन के लिए कर्नाटक को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय मदद जारी करने का आग्रह किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र और प्रदेश के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिए।
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि वे इस मामले में निर्देश प्राप्त करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों को अदालत का रुख करना होता है। शीर्ष अदालत ने केंद्र को कर्नाटक की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करने का आग्रह किया और कहा कि वे इस मामले में निर्देश लेंगे। पीठ ने कहा, केंद्र और राज्य के बीच टकराव नहीं होना चाहिए। मेहता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के बजाय अगर किसी ने इस मुद्दे पर प्राधिकारियों से बात की होती तो समस्या का समाधान हो सकता था।
पीठ ने कहा, हमने देखा है कि विभिन्न राज्य सरकारों को अदालत का रुख करना पड़ा है। इस पर मेहता ने कहा, मैं यह नहीं कहना चाहता कि क्यों करना पड़ा है, लेकिन यह प्रवृत्ति बढ़ी है। जब पीठ ने कहा कि वह केंद्र सरकार को नोटिस जारी करेगी तो मेहता ने कहा, आपसे नोटिस जारी न करने का आग्रह है। यह भी खबर बन जाती है। हम यहां हैं।
पीठ ने कहा कि अग्रिम नोटिस पर पेश हुए शीर्ष कानून अधिकारियों ने कहा है कि वे निर्देश लेंगे। अगली तारीख पर अदालत के सामने एक बयान देंगे। शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगी।
याचिका में यह भी घोषणा करने का आग्रह किया गया है कि एनडीआरएफ के तहत सूखे की व्यवस्था के लिए वित्तीय मदद जारी न करने का केंद्र का कदम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत राज्य के लोगों के लिए गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का पहली नजर में उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि राज्य गंभीर सूखे से जूझ रहा है, जिससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। पिछले साल जून से सितंबर तक के खरीब के सीजन के लिए 236 तालुकों में से 223 को सूखा प्रभावित घोषित किया गया।
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