संविधान की शपथ लेकर प्रेमी जोड़े ने की शादी: रायगढ़ के कापू में अनोखी पहल, फिजूल खर्च रोकने का दिया संदेश

राजेन्द्र देवांगन
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गुरु घासीदास जयंती पर समाज और परिवार के आशीर्वाद से हुई अनूठी शादी

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कापू में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां एक प्रेमी जोड़े ने रीति-रिवाजों और तड़क-भड़क से हटकर संविधान की शपथ लेकर शादी की। 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर हुई इस शादी ने फिजूल खर्च रोकने और सादगी भरी जीवनशैली का संदेश दिया।

शादी की कहानी:
कापू निवासी यमन लहरे और प्रतिमा महेश्वरी का परिचय कुछ समय पहले हुआ था, जो बाद में प्रेम में बदल गया। दोनों ने अपने परिवार को अपनी भावनाओं के बारे में बताया और उनके आशीर्वाद से शादी का फैसला लिया। उन्होंने 18 दिसंबर को गुरु घासीदास मंदिर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और संविधान को साक्षी मानते हुए शादी करने की योजना बनाई।

संविधान की शपथ लेकर शादी:
गुरु घासीदास जयंती के मौके पर परिवार और समाज के बीच, यमन और प्रतिमा ने संविधान की शपथ ली और एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का संकल्प लिया। इस शादी में कोई दिखावा या फिजूलखर्ची नहीं की गई। दोनों ने इसे सादगीपूर्ण तरीके से संपन्न किया।

फिजूलखर्ची रोकने का संदेश:
यमन लहरे ने कहा कि समाज में अक्सर शादियों पर अनावश्यक खर्च किया जाता है, जो गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ डालता है। उन्होंने अपनी शादी को सादगी से संपन्न करके फिजूलखर्ची रोकने का संदेश दिया। यमन ने कहा, “हमने अपने बड़े-बुजुर्गों से राय लेकर यह फैसला लिया और बाबा साहेब को साक्षी मानकर शादी की। यह हमारे लिए गर्व की बात है।”

समाज और परिवार का मिला आशीर्वाद:
प्रतिमा महेश्वरी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “गुरु घासीदास जयंती पर हमने संविधान को मानते हुए शादी की। यह हमारे जीवन का सबसे खास दिन है, और हमें खुशी है कि परिवार और समाज ने इस निर्णय में हमारा साथ दिया।”

समाज में सकारात्मक संदेश:
इस अनोखी शादी ने लोगों को सादगी अपनाने और फिजूलखर्ची रोकने की प्रेरणा दी है। समाज के लोगों ने इस जोड़े के निर्णय की सराहना की और उन्हें आशीर्वाद दिया।

निष्कर्ष:
रायगढ़ के कापू में हुई यह शादी आधुनिक युग में सामाजिक बदलाव और सादगी भरे जीवन की मिसाल है। इस शादी ने यह साबित किया है कि प्यार और सच्चाई से बंधे रिश्ते को किसी भव्य आयोजन की जरूरत नहीं है। समाज के हर वर्ग ने इस पहल को सराहा और इसे अनुकरणीय कदम बताया।

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