सुकमा, छत्तीसगढ़: नक्सलवाद से लंबे समय से जूझते छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है। बड़ेसट्टी गांव, जो वर्षों तक नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा, अब पूरी तरह नक्सलमुक्त हो चुका है। इस गांव के अंतिम 11 सक्रिय नक्सलियों ने हाल ही में आत्मसमर्पण कर शांति और विकास की राह को चुना है।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस अवसर पर घोषणा की कि बड़ेसट्टी राज्य का पहला ऐसा गांव बन गया है जिसे आधिकारिक रूप से “नक्सलमुक्त ग्राम पंचायत” घोषित किया गया है।
अब बंदूक नहीं, विकास बनेगा बदलाव की राह
गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा, “ग्रामीणों ने अब समझ लिया है कि बंदूक नहीं, बल्कि विकास ही स्थायी समाधान है।” उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नक्सली इलवद पंचायत योजना के तहत बड़ेसट्टी गांव को 1 करोड़ रुपए की राशि विकास कार्यों के लिए स्वीकृत की गई है।
इस धनराशि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क और सामुदायिक भवनों जैसे बुनियादी ढांचों के निर्माण में किया जाएगा, जिससे गांव में स्थायी शांति और सामाजिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।
इनामी नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता
सरेंडर करने वाले 11 नक्सलियों में से चार पर 2-2 लाख और एक पर 50 हजार का इनाम घोषित था। कुल मिलाकर इन 5 नक्सलियों पर 8.50 लाख रुपये का इनाम था। सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि, कपड़े और अन्य जरूरी सुविधाएं दी गई हैं।
सुकमा से शुरू हुआ नक्सलमुक्त पंचायत अभियान
विजय शर्मा ने बताया कि सुकमा जिले से नक्सलमुक्त पंचायतों की शुरुआत एक बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा, “यह नियद नेल्लानार योजना, पुलिस की निरंतर मौजूदगी और सरकार की नीतियों में विश्वास का नतीजा है।” आने वाले समय में बस्तर सहित पूरे प्रदेश में ऐसी और भी पंचायतों को नक्सलमुक्त घोषित किया जाएगा।
नक्सली इलवद पंचायत योजना क्या है?
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू “नक्सली इलवद पंचायत योजना” के तहत उन ग्राम पंचायतों को नक्सलमुक्त घोषित किया जाता है जहां से सक्रिय नक्सली संगठन पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। ऐसे पंचायतों को 1 करोड़ रुपए की विशेष राशि तत्काल स्वीकृत की जाती है, जिससे गांव का तेज़ी से समग्र विकास हो सके।
बस्तर के लिए उम्मीद की नई किरण
बड़ेसट्टी गांव की यह उपलब्धि सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि पूरे बस्तर क्षेत्र के लिए शांति और समृद्धि की नई शुरुआत है। सरकार की पहल, पुलिस की सक्रियता और ग्रामीणों के सहयोग से अब वह दिन दूर नहीं जब पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सलमुक्त कहलाएगा।

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