छत्तीसगढ़ के पहाड़: जानें बदलते मौसम की कहानी

राजेन्द्र देवांगन
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850 पहाड़, फिर भी ठंड का इंतजार: छत्तीसगढ़ में क्यों कम हो रही सर्दी?

दिसंबर का महीना चल रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक कड़ाके की सर्दी का इंतजार है। राजधानी रायपुर में सर्दी का असर लगभग न के बराबर है। ऐसा क्यों हो रहा है, जबकि प्रदेश में 850 पहाड़ मौजूद हैं? पर्वत दिवस पर जानते हैं इस अनोखी स्थिति की वजह।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में पहाड़ों की ऊंचाई कम होने के कारण इनका असर मौसम पर केवल स्थानीय स्तर पर ही पड़ता है। यह प्रभाव 10 से 20 किलोमीटर की सीमा तक सीमित रहता है। प्रदेश में मैकल पर्वत श्रेणी के आसपास कवर्धा, मुंगेली, राजनांदगांव और बेमेतरा के कुछ इलाके रेन शैडो (वृष्टि छाया) क्षेत्र में आते हैं। यहां सामान्य से 10 से 20% तक कम बारिश होती है।

रेन शैडो और पहाड़ों का असर

रेन शैडो क्षेत्र वह होता है, जहां पहाड़ों से टकराकर दक्षिण-पश्चिम मानसून की नम हवाएं ऊपर उठती हैं। इस प्रक्रिया में दूसरी ओर इन हवाओं को नीचे आने में समय लगता है, जिससे उस क्षेत्र में बारिश की कमी होती है।

सरगुजा संभाग के मैनपाट क्षेत्र में दिन के समय गर्मी और रात में तेज ठंड का अनुभव होता है। यहां रात का तापमान अक्सर माइनस में चला जाता है। इसके अलावा, मैनपाट में थंडरस्टॉर्म की स्थिति भी बनती है, जहां थोड़ी बारिश के बाद मौसम तेजी से साफ हो जाता है।

क्यों कम हो रही है ठंड?

छत्तीसगढ़ के पहाड़ पूरे प्रदेश को मौसम में बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाते। यही कारण है कि मैदानी क्षेत्रों, जैसे रायपुर और दुर्ग, में ठंड सामान्य या उससे कम रहती है। जबकि सरगुजा संभाग के ठंडे इलाकों में शीतलहर के दिनों की संख्या अधिक होती है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
मौसम चक्र में बदलाव का एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन भी है। बीते कुछ वर्षों में ठंड का प्रभाव कम होता जा रहा है।

पारा में गिरावट

सोमवार को रायपुर में न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस था, जो मंगलवार को गिरकर 15.1 डिग्री पर आ गया। पेंड्रारोड का तापमान 15.4 से गिरकर 10.4 डिग्री तक पहुंच गया। अंबिकापुर, दुर्ग, और राजनांदगांव में भी तापमान में 3 डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ के पहाड़ स्थानीय स्तर पर मौसम को प्रभावित करते हैं, लेकिन उनकी ऊंचाई कम होने से उनका व्यापक असर नहीं हो पाता। जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसम चक्र से सर्दी के दिनों में कमी आ रही है, जिससे प्रदेश में ठंड का एहसास पहले जैसा नहीं रह गया है।

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