हिंदू महिलाओं के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पति की संपत्ति में हिस्सेदारी का सवाल

राजेन्द्र देवांगन
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पति की संपत्ति पर हिंदू महिलाओं का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की ओर

नई दिल्ली -महिलाओं का पति की संपत्ति और पैतृक संपत्ति में अधिकार हमेशा से ही एक संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इस विषय में बड़ी स्पष्टता लाने का निर्णय किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महिलाओं के संपत्ति अधिकारों से जुड़े मामले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की व्याख्या को लेकर लंबे समय से चली आ रही उलझन को सुलझाने का फैसला किया है।

क्या है मामला?

यह विवाद 1965 से जुड़ा है, जब कंवर भान नाम के व्यक्ति ने अपनी वसीयत में पत्नी को एक जमीन का उपयोग जीवनभर के लिए करने का अधिकार दिया, लेकिन इस शर्त पर कि उनकी मृत्यु के बाद वह संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों को लौटाई जाएगी। पत्नी ने बाद में उस संपत्ति को बेच दिया और उसे अपना पूर्ण अधिकार बताया। इसके बाद उनके बेटों और पोतों ने इस बिक्री को चुनौती दी।

इस मुद्दे पर निचली अदालत और अपीलीय अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) का हवाला देते हुए महिला के पक्ष में फैसला दिया। लेकिन, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इससे असहमति जताते हुए 1972 के एक पुराने सुप्रीम कोर्ट फैसले का हवाला दिया, जिसमें वसीयत में दी गई शर्तों को मान्यता दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस विषय पर स्पष्टता जरूरी है, क्योंकि यह मामला न केवल कानूनी जटिलताओं से जुड़ा है, बल्कि इसका लाखों हिंदू महिलाओं के अधिकारों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जस्टिस पीएम नरसिम्हा और संदीप मेहता की बेंच ने इस विवाद को एक बड़ी बेंच के पास भेजने का फैसला किया है।

यह विवाद हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) और उसमें दी गई महिलाओं के संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व की परिभाषा से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि यह तय किया जाना चाहिए कि क्या वसीयत में लगाई गई शर्तें हिंदू महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को सीमित कर सकती हैं।

क्या होगा असर?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल हिंदू महिलाओं के संपत्ति पर अधिकार तय करेगा, बल्कि यह देशभर के हजारों लंबित मामलों पर भी असर डालेगा। यह फैसला यह स्पष्ट करेगा कि क्या महिलाएं अपनी संपत्ति का उपयोग, हस्तांतरण या बिक्री बिना किसी बाधा के कर सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की इस पहल से लाखों हिंदू महिलाओं को अपने संपत्ति अधिकारों को लेकर न्याय की उम्मीद है।

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