गुरु घासीदास नेशनल पार्क में दो दिन पहले बाघ की मौत हो गई थी। आशंका है कि बाघ को जहर देकर मारा गया है।
जून 2022 में भी इसी जगह बाघ का शव मिला था। इस संबंध में प्रकाशित खबर पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद के द्वारा इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने वन्यजीवों की मौत और पर्यावरण की अनदेखी पर सख्त टिप्पणी की। कहा कि वन्य जीव, पर्यावरण नष्ट हो रहे हैं, बचा क्या। वन्य जीव नहीं बचा पाएंगे, जंगल नहीं बच पाएंगे तो कैसे चलेगा। वन्यजीव है, जंगल हैं। छत्तीसगढ़ में कम से कम यही सब है।यह दूसरी मौत है, टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहीं, यहां है तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, गुरु घासीदास नेशनल पार्क में 10 नवंबर को बाघ का शव मिला था। बाघ के शव के पास भैंस का आधा खाया हुआ शव पड़ा था, इससे आशंका है कि इसका बदला लेने के लिए बाघ को मारा गया था।10 दिन के भीतर शपथ-पत्र के साथ जवाब दें इस मामले को गंभीर मानते हुए हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू की है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को 10 दिनों के भीतर शपथ-पत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि 8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास खनखोपड़ नाला के किनारे बाघ का शव मिला। वन विभाग ने आधिकारिक तौर पर जहर खुरानी की घटना बताया है। मामले की जांच की जा रही है।
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