दिवाली के बाद छठ महापर्व की तैयारी: 5 नवंबर से ‘नहाय-खाय’ से होगी पर्व की शुरुआत, छत्तीसगढ़ में है एशिया का सबसे बड़ा स्थाई छठघाट

राजेन्द्र देवांगन
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देश के सबसे बड़े छठ घाट में छठ पर्व की बिखरेगी छटा।

दीपावली त्योहार के बाद अब देश भर में छठ पूजा की तैयारी चल रही है। यह महापर्व इस बार 5 नवंबर से शुरू हो रहा है। वैसे तो देश में क्षेत्रफल के लिहाज से मुंबई के जुहू चौपाटी देश का सबसे बड़ा छठघाट है। लेकिन, यह स्थाई नहीं है। वहीं, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर मे छठ महापर्व मनाने अरपा नदी के छठ घाट में चल रही है तैयारी।

पूर्वोत्तर में मनाए जाने वाला छठ पर्व अब बिलासपुर सहित प्रदेश में धूमधाम और उत्साह से मनाया जाने लगा है। दीपावली के विशेषकर बिहार, झारखंड, और उत्तरप्रदेश इस पर्व की धूम रहती है। लेकिन, पिछले एक दशक से इस पर्व को लेकर छत्तीसगढ़ में भी उत्साह रहता है।

शहर में बसे पूर्वांचल के लोगों के साथ ही स्थानीय लोग भी इस पर्व को मनाने लगे हैं।कलेक्टर और एसपी ने छठघाट का लिया जायजा।नहाय खाय के साथ 5 नवंबर से शुरू होगी पर्व की शुरूआत शहर में छठ पूजा आयोजन समिति के पदाधिकारी अरपा नदी के तट पर बने छठघाट की सफाई और रंग-रोगन के काम में जुट गए हैं।

समिति के पदाधिकारियों ने महा पर्व के सफल आयोजन हेतु तैयारियों का निरीक्षण कर सभी को जिम्मेदारियां सौंपी है। इस वर्ष चार दिनी छठ महा पर्व का आरंभ 5 नवंबर को ‘नहाय-खाय’ से होगा। 6 नवंबर को ‘खरना’ मनाया जाएगा। षष्ठी तिथि 7 नवंबर, गुरुवार को सुबह 12.41 बजे से शुरू होगी। यह 8 नवंबर शुक्रवार को सुबह 12.24 बजे तक चलेगी।

उदया तिथि के अनुसार छठ महा पर्व का संध्या अर्घ्य 7 नवंबर को व्रत धारी देंगे। महा पर्व का समापन 8 नवंबर को प्रातः उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा।सात एकड़ में फैला है बिलासपुर का छठघाट बता दें कि बिलासपुर जैसा स्थाई और बड़ा घाट तो पर्व के उद्गम स्थल बिहार में भी नहीं है। छठ मुख्य रूप से बिहार प्रांत का पर्व है। पर्व मनाने घाटों, नदी या तालाब के घाटों का विशेष महत्व है।

यहां डूबते और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हुए छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है। छठ पूजा के लिए बिहार में सैकड़ों घाट हैं। समिति के पदाधिकारी बताते हैं कि अकेले राजधानी पटना में 82 घाट हैं, पर सभी घाटों का एरिया महज 100 से 200 मीटर ही है, जबकि तोरवा स्थित छठ घाट साढ़े 7 एकड़ में फैला हुआ है। यहां एक किलोमीटर एरिया में पूजा व अर्घ्य के लिए बेदी बनाई जाती है, जिसमें 50 हजार से अधिक श्रद्धालु एक साथ सूर्य देव को अर्घ्य दे सकते हैं।घाट की साफ सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर की चर्चा।मुंबई के जुहू को माना जाता है बड़ा छठघाट हालांकि, पूजा स्थल पर गौर करें तो मुंबई का जुहू स्थित चौपाटी सबसे बड़ा घाट माना जाता है। लेकिन, यह स्थाई नहीं है।

तोरवा छठ घाट स्थाई है, जहां स्थाई रूप से लाइटिंग, पार्किंग स्थल, सामुदायिक भवन, गार्डन के साथ ही समीप में पुलिस चौकी है। दूसरी ओर, देश के अन्य पूजा स्थलों पर गौर करें तो यहां पर्व के दौरान महज तीन दिनी व्यवस्था बनाई जाती है।देश में सबसे बड़ा और व्यवस्थित है छठ घाट पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच के प्रवीण झा ने बताया कि देश में हमारे शहर से बड़ा व व्यवस्थित घाट और कहीं नहीं है।

मुंबई की चौपाटी में जरूर छठ पूजा होती है, जिसकी वजह से वहां घाट का निर्धारण नहीं है। इस वजह से सबसे बड़ा पूजा स्थल वहां का माना जा सकता है। मगर एक व्यवस्थित व स्थाई घाट का जितना बड़ा एरिया तोरवा स्थित घाट है और कहीं नहीं है। शहर के लिए यह गर्व की बात है।कलेक्टर-एसपी ने तैयारियों का लिया जायजा छठ महापर्व को लेकर आयोजन समिति की तैयारियां अंतिम दौर पर है।

घाट की साफ-सफाई चल रही है, जहां छठ व्रतियों के अर्ध्य देने की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ ही बेरिकेडिंग सहित अन्य तैयारियां भी चल रही है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है। रविवार को कलेक्टर अवनीश शरण और एसपी रजनेश सिंह ने अरपा नदी के किनारे बने छठ घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने छठ पूजा के लिए की जा रही तैयारियों का जायज़ा लिया। साथ ही साफ-सफाई के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने छठ पूजा आयोजन समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक करके कार्यक्रम की रूपरेखा भी तैयार की। बैठक में मुख्य रूप से साफ-सफाई, सुरक्षा, पार्किंग और ट्रैफिक व्यवस्था सहित तमाम व्यवस्था सुनिश्चित करने पर चर्चा की गई।

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