नई दिल्ली। ओडिशा के 5 बार के सीएम रह चुके नवीन पटनायक को राज्य की राजनीति में अजेय माना जाता था, लेकिन एक सामान्य व्यक्ति ने उनके किले में सेंध लगा दी। बीजेडी ने ना केवल राज्य की सत्ता गंवा दी, बल्कि चुनावी राजनीति में अजेय नजर आने वाले ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी सीट भी हार गए। नवीन पटनायक पिछले 24 साल से ओडिशा के मुख्यमंत्री थे। उनके नाम इस तटीय राज्य का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। नवीन पटनायक, 1998 में अस्का संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में 11वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद से कभी चुनाव नहीं हारे थे।
बता दें कि ओडिशा के कांटाभाजी के चुनावी मैदान में मतगणना 28 राउंड से अधिक समय तक चली और 4 जून की देर शाम को वहां से एक चौंकाने वाला परिणाम मिला। अजेय प्रतीत होने वाले नवीन पटनायक, जिन्होंने अपने शानदार राजनीतिक करियर में कभी हार का सामना नहीं किया था, उनकोे पहली बार हार का सामना करना पड़ा। उनको भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्मण बाग ने करारी शिकस्त दी। लक्ष्मण बाग 15 साल पहले तक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। लक्ष्मण बाग को 90,878 वोट मिले, जबकि पटनायक को कांटाभाजी विधानसभा क्षेत्र में 74,532 वोट मिले। यानी लक्ष्मण बाग की जीत का अंतर 16,344 वोट का रहा। पटनायक के प्रभाव को देखते हुए, यह हार और इसका अंतर अकल्पनीय है। बताया जाता है कि लक्ष्मण बाग ने कांटाभाजी निर्वाचन क्षेत्र में लगातार जरूरतमंद लोगों की मदद की और उनके अच्छे कामों ने उनकी शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लक्ष्मण बाग का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था, जो गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था।
*ट्रक हेल्पर से लेकर मजदूरी तक की*
लक्ष्मण बाग छह भाई-बहन थे। घर चलाने के लिए उन्होंने अपने परिवार के खेत पर काम किया। मामूली तनख्वाह पर एक ट्रक ड्राइवर के लिए हेल्पर का काम किया। पैसा कमाने के लिए लक्ष्मण बाग दिहाड़ी मजदूर तक बन गए। हालांकि उनके बारे में ऐसी अफवाह थी कि वह दूसरे राज्यों में लेबर भेजने के एजेंटों के लिए काम करते थे, लेकिन यह बात कभी साबित नही हो सकी। बाद में उन्होंने ट्रक खरीदा और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में सफल रहे। पिछले साल दाखिल किए गए इन्कम टैक्स रिटर्न में उन्होंने अपनी आय 4.89 लाख रुपये दिखाई है।
*राजनीतिक रूप से परिपक्वता दिखाई*
लक्ष्मण बाग ने राजनीति में पहला कदम 2014 के विधानसभा चुनाव में रखा। तब वह तीसरे स्थान पर रहे थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में वह महज 128 वोटों से हार गए। पटनायक की उम्मीदवारी की घोषणा करने से बहुत पहले, भाजपा उम्मीदवार ने पहले ही जमीनी कार्य कर लिया था और लगभग हर गांव का दौरा किया था, जिससे उन्हें फायदा हुआ। 48 वर्षीय बाग की जीत सिर्फ एक चुनावी उलटफेर से कहीं अधिक थी। बाग ने बीजू जनता दल सरकार द्वारा लागू रोजगार सृजन कार्यक्रमों के अप्रभावी होने पर जोरदार बहस छेड़ी।