रायपुर,राजधानी में हुई मूसलधार बारिश ने नगर निगम और प्रशासन की तैयारियों की असलियत उजागर कर दी। बीते 24 घंटे में 134.3 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई, जो 2013 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी बारिश है। सिर्फ साढ़े आठ घंटे की बारिश ने शहर को पानी-पानी कर दिया और व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
जलजमाव ने बिगाड़ी रफ्तार
प्रोफेसर कॉलोनी के सेक्टर-1 से 5 तक घरों में पानी घुस गया, जिससे नाराज लोगों ने नेशनल हाईवे-53 पर चक्का जाम कर दिया। करीब 4 घंटे तक यातायात ठप रहा और शहर की रफ्तार थम गई।
जब्बार नाले का जलस्तर बढ़ा, कार बह गई
दलदल सिवनी स्थित जब्बार नाले के उफान से ऑक्सीजोन और साइंस सिटी की कॉलोनियों की सड़कें बंद हो गईं। नाले की तेज धार में एक कार बह गई। वहीं कुशालपुर में दो फीट पानी भरने से एक बुजुर्ग महिला के अंतिम संस्कार में बाधा आई और शव को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा।
जाम में फंसी एंबुलेंस, मरीज संकट में
जाम का सबसे भयावह असर तब दिखा जब सिमगा से रायपुर आ रही एंबुलेंस एक घंटे तक फंसी रही। पैरालिसिस अटैक से पीड़ित ओमप्रकाश तंबोली को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। वहीं, भिलाई से मस्कट जा रहे शकील अहमद को टैक्सी से एयरपोर्ट भागना पड़ा क्योंकि उनकी इनोवा गाड़ी भी जाम में फंसी थी।
दिखावे का निरीक्षण
बारिश के बाद महापौर मीनल चौबे और निगम आयुक्त विश्वदीप ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया। दोनों अधिकारी पानी में उतरकर हालात का जायजा लेते दिखे और घोषणा की कि जल्द ही एक्सपर्ट आर्किटेक्ट्स की टीम गठित की जाएगी।
तकनीकी खामियां जिम्मेदार
सेवानिवृत्त इंजीनियर एसवी पडेगांवकर का कहना है कि रायपुर की सड़कों और नालियों का निर्माण बिना ठोस योजना के हो रहा है। वी शेप की नालियां और सड़क के मध्य को कुछ मिलीमीटर ऊंचा करने जैसे उपाय जलभराव को काफी हद तक रोक सकते हैं।
जर्जर ड्रेनेज सिस्टम बना आफत
शहर की पुरानी ड्रेनेज व्यवस्था अब समस्या बन चुकी है। 60-70% पाइपलाइनें जाम हैं, नालियों की नियमित सफाई नहीं होती, और अतिक्रमण हटाने में भी प्रशासन गंभीर नहीं है।
निष्कर्ष:
जनता अपने टैक्स से सड़कें और नालियां बनवाती है, लेकिन जब संकट आता है, तो वही जनता जलजमाव और जाम में फंसकर बेहाल हो जाती है। प्रशासन सिर्फ दौरे, मीटिंग और टेंडर में व्यस्त रहता है, और रायपुर हर बारिश में डूबता है।