“सीएम से मिलकर रोने वाली महिला की जांच में खुलासा मकान, वाहन और सरकारी पद होने पर अपात्र घोषित”

Babita Sharma
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“रतलाम में पीएम आवास की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची महिला की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। महिला के पास पहले से दो मकान, ट्रैक्टर, चार पहिया वाहन और सरकारी पद होने के कारण उसे योजना के लिए अपात्र घोषित किया गया है।”


रतलाम। बीते मंगलवार रतलाम आईं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पीएम आवास योजना की मांग को लेकर मिलने और रोने वाली महिला मधुबाला पति अमरसिंह को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। जिला प्रशासन की जांच में पता चला है कि वृद्धा आर्थिक रूप से संपन्न हैं और उनके नाम दो मकान, एक ट्रैक्टर, एक चार पहिया वाहन सहित कृषि भूमि भी है।

गौरतलब है कि सीएम डॉ. यादव रतलाम में अखिल भारतीय वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ के अधिवेशन का उद्घाटन करने आए थे। इस दौरान कई लोग उनसे मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन वे कार्यक्रम के बाद बिना आमजन से मिले रवाना हो गए। उसी समय ग्राम भैंसोला निवासी मधुबाला सीएम से नहीं मिल पाने पर भावुक हो गईं और फूट-फूट कर रोने लगीं। उन्होंने ग्राम पंचायत सचिव पर पीएम आवास योजना में नाम होने के बावजूद आवास नहीं देने का आरोप लगाया था।


कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

घटना के बाद कलेक्टर राजेश बाथम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सीईओ श्री श्रृंगार श्रीवास्तव को जांच के निर्देश दिए। इसके बाद आलोट जनपद सीईओ ने विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपी।


जांच में सामने आए ये तथ्य:

  • मधुबाला के पास ग्राम भैंसोला और चापलाखेड़ी (ताल मेन रोड) पर दो पक्के मकान हैं, जिनमें एक डबल मंजिला भवन भी शामिल है।
  • उनके पास ट्रैक्टर और चार पहिया वाहन है।
  • वह तीन पदों पर कार्यरत हैं — एक आशा कार्यकर्ता, मध्यान्ह भोजन समूह की संचालक और शासकीय उचित मूल्य दुकान की संचालिका।
  • वह ग्राम भैंसोला और करौंदी में भूमि की पट्टाधारक भी हैं।
  • मधुबाला 2010 में ग्राम पंचायत भैंसोला की सरपंच और जनपद पंचायत आलोट की सदस्य रह चुकी हैं।

अधिकारियों का बयान

जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव ने बताया:

“आवेदिका के पास दो पक्के मकान, ट्रैक्टर और चार पहिया वाहन हैं। इन कारणों से वह प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करतीं। अतः ग्राम पंचायत द्वारा उन्हें अपात्र घोषित किया गया है।”


यह मामला बताता है कि योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंचे, इसके लिए प्रशासन द्वारा की गई पारदर्शी जांच प्रक्रिया कितनी अहम होती है। भावनात्मक अपील के पीछे यदि वास्तविकता कुछ और हो, तो उसका सामने आना भी समाज और व्यवस्था की दृष्टि से आवश्यक है।


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ब्यूरो चीफ - मध्यप्रदेश