बालोद जिले में मितानिन कार्यकर्ताओं का धरना: संविलियन और मानदेय में 50 प्रतिशत वृद्धि की मांग, स्वास्थ्य सेवाएं ठप

राजेन्द्र देवांगन
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बालोद जिले में मितानिन कार्यकर्ता अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही हैं, जिससे जिले में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं। इसके अलावा, टीबी कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है। मितानिन कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

मितानिनों की मांगें

मितानिन कार्यकर्ताओं की मुख्य मांग है कि उनका संविलियन किया जाए और उनका मानदेय 50 प्रतिशत बढ़ाया जाए। मितानिन संघ के प्रदेश संगठन मंत्री मीना डोंगरे ने बताया कि वे सभी मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, ब्लॉक समन्वयक, स्वास्थ्य पंचायत समन्वयक, एरिया को-ऑर्डिनेटर और मितानिन हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में संविलियन की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें भी SHRC (State Health Resource Centre) और NGO के साथ काम करने पर आर्थिक लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, हम अपना धरना जारी रखेंगे।” मितानिन कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में मितानिनों के संविलियन और मानदेय में वृद्धि का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार ने इन वादों को पूरा नहीं किया, जिससे वे आक्रोशित हैं।

मितानिनों की निराशा और संघर्ष

मितानिन कार्यकर्ता अश्वनी सोनबोई, सुरेखा साहू, चंद्रकला साहू ने बताया कि वे पिछले 21 वर्षों से मितानिन के रूप में सेवा दे रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें संविलियन से वंचित रखा गया है। लंबे समय तक सेवा देने के बावजूद उन्हें कम प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जो उनके लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

धरने का प्रभाव

मितानिनों के धरने के कारण जिले की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्यों की गति धीमी हो गई है, और लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इसके अलावा, टीबी कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है, जिससे मरीजों की देखभाल और उपचार में रुकावट आ रही है।

मितानिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों को सरकार द्वारा पूरा नहीं किया जाता।

चुनावी वादों का पालन न होने पर मितानिनों का आक्रोश

मितानिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनावी घोषणापत्र में सरकार ने मितानिनों के संविलियन और मानदेय में 50 प्रतिशत वृद्धि का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं किया गया है। यही कारण है कि वे धरना दे रही हैं और अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रही हैं।

मितानिनों का यह आंदोलन सरकार और प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि इसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं में गहरी कमी आ गई है, जो सीधे तौर पर आम जनता के स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है।

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