महिला थाना रायपुर में गड़बड़ी पर बड़ा विवाद – आत्महत्या की कोशिश के बाद प्रशासन पर उठे सवाल

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर। राजधानी रायपुर के महिला थाना में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 10 सितंबर को एक पीड़ित महिला, जो 2024 से लगातार अपने केस की सुनवाई के लिए थाने के चक्कर काट रही थी, ने थाने के अंदर ही खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्महत्या की कोशिश की। महिला लगभग 70% तक जल गई, लेकिन 112 डायल की गाड़ी 20 मिनट देर से पहुंची। तब तक युवती थाने में तड़पती रही और थाने में भी कोई वाहन उसे अस्पताल ले जाने के लिए मौजूद नहीं था।
बड़ा सवाल – आखिर कार्रवाई क्यों नहीं?
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है –

आखिर 2024 से अब तक इस महिला की शिकायत पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

आत्महत्या की कोशिश के बाद प्रशासन पर उठे सवाल

क्यों महिला थाना प्रभारी और एसपी ममता देवांगन पर पहले लगे आरोपों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया?

क्यों थाने में पीड़िताओं की एफआईआर तक नहीं लिखी जाती और उन्हें धमकाया जाता है?

पीड़िताओं का आरोप

पीड़ित महिलाओं का कहना है कि महिला थाना में केस की हेरा-फेरी, लेन-देन, और धमकाने-डराने जैसे मामले लगातार हो रहे हैं।
एक पीड़िता ने तो यहां तक कहा कि –

“थाने में ज्योति सिंह और ए.आर. साहू पैसे लेकर ससुराल वालों को बचाते हैं। इन्हें तुरंत हटाया जाए।”

जनता की मांग

महिला थाना प्रभारी और एसपी ममता देवांगन को तत्काल बर्खास्त किया जाए।

पीड़िताओं के मामलों में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

महिला थाना की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

प्रशासन पर भी सवाल

लोगों का आरोप है कि प्रशासन भी इस पूरे मामले में चुप है और कहीं न कहीं मिलीभगत हो सकती है। सवाल यह है कि –

क्या रायपुर का महिला थाना सुरक्षित जगह है या फिर पीड़िताओं के लिए डर का अड्डा बन चुका है?

अब सबकी निगाहें प्रशासन पर हैं कि वह इस पूरे मामले में क्या कदम उठाता है।

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