राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे शरद पवार और उद्धव ठाकरे, जानिए एकनाथ शिंदे और अजित के लिए यह लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा क्यों..!

राजेन्द्र देवांगन
7 Min Read

राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे शरद पवार और उद्धव ठाकरे, जानिए एकनाथ शिंदे और अजित के लिए यह लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा क्यों..!
महाराष्ट्र:-लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है। महाराष्ट्र में दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों के नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह चुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके उप-मुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपनी-अपनी पार्टियों को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। ऐसे में इन दोनों नेताओं को भी अभी अपनी ताकत दिखाने होगी। यह लोकसभा चुनाव शिंदे और अजित दोनों के लिए काफी अहम है। लेकिन यह चुनौती उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए और कठिन है, क्योंकि वे सत्ता से बाहर हैं और उन्होंने मूल नाम और चुनाव चिह्न के साथ-साथ क्रमशः अपनी पार्टियों – शिव सेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर नियंत्रण खो दिया है।
चुनाव आयोग और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और शिंदे के नेतृत्व वाली सेना को असली एनसीपी और असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है।
2 जुलाई, 2023 को एकनाथ शिंदे-बीजेपी सरकार में शामिल हुए थे अजित पवार
2 जुलाई, 2023 को महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बार फिर करवट ली थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजित पवार शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए थे।
शिवसेना-बीजेपी सरकार का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे हैं, जबकि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री हैं। अजित पवार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ एनसीपी के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले छगन भुजबल ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली थी। उस वक्त इन दोनों नेताओं के साथ एनसीपी के कुल नौ नेताओं ने मंत्रिपद की शपथ ली थी।
उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर अजित पवार ने कहा था कि उन्होंने एनसीपी के नेता के रूप में ही महाराष्ट्र की सरकार को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा था कि अगले चुनाव में वो एनसीपी के नाम और एनसीपी के चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरेंगे।
‘उद्धव ठाकरे के साथ नहीं आना चाहते थे सोनिया-राहुल’, प्रफुल्ल पटेल ने किया बड़ा खुलासा
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अजित पवार और छगन भुजबल के साथ प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। प्रफुल्ल पटेल को कुछ दिनों पहले ही शरद पवार ने पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। दूसरी ओर शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अजित पवार ने उनसे कोई बात नहीं की थी।
शरद पवार ने कहा था कि एनसीपी किसकी है, ये लोग तय करेंगे। उस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा और कहा कि जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, उन्हें ही अब अपने साथ लिया जा रहा है।
30 जून, 2022 को शिंदे बने थे महाराष्ट्र के सीएम
इस घटनाक्रम से पहले महाराष्ट्र में एक और बड़ा वाकया सामने आया था। जब 30 जून, 2022 को एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्‍ट्र के उप मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। एकनाथ श‍िंदे ने दिवंगत शिवसेना नेताओं बाल ठाकरे और आनंद दिघे को श्रद्धांजलि देकर शपथ लेने की शुरुआत की थी।
उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे विवाद?
23 जून, 2022 को एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 35 विधायकों को समर्थन है। इसको लेकर लेटर जारी किया गया था।
25 जून, 2022 को डिप्टी स्पीकर 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा था। जिसके बाद बागी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
26 जून, 2022 को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। जिसके बाद बागी विधायकों को कोर्ट से राहत मिली।
28 जून, 2023 को राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने इसको लेकर मांग की थी।
29 जून, 2023 को सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट पर रोक से इनकार किया। जिसके बाद उद्धव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
30 जून, 2022 को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
3 जुलाई, 2022 को नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
3 अगस्त, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली आपने (एकनाथ शिंदे) सरकार बना ली।
4 अगस्त, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक यह मामला लंबित है। तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले। इसके बाद सुनवाई तीन बार टली। यानी 8, 12, 22 को कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया।
23 अगस्त, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को ट्रांसफर कर दिया। चुनाव आयोग का कार्यवाही पर रोक लगाई।
27 सितंबर, 2023 को संविधान पीठ ने शिवसेना पर दावेदारी के मामले में चुनाव आयोग की कार्यवाही से रोक हटाई।
8 अक्टूबर, 2023 को उद्धव-शिंदे गुट के बीच लड़ाई में चुनाव आयोग ने शिवसेना सिंबल तीर-कमान को फ्रीज कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना माना। आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी।

Share this Article

You cannot copy content of this page