सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुश्किल में शिबू सोरेन का परिवार, बहू सीता सोरेन ने ली थी करोड़ों की रिश्वत.., जानें क्या है पूरा मामला..!

राजेन्द्र देवांगन
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बहू सीता सोरेन के चक्‍कर में बुरे फंसे शिबू सोरेन, जानें पूरा मामला..!
रांची. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. दिल्ली हाइकोर्ट की डबल बेंच ने पूर्व सीएम की बहू सीता सोरेन की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उनपर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा था.

जामा से झामुमो की विधायक सीता सोरेन पर साल 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी आरके अग्रवाल से डेढ़ करोड़ रु लेकर वोट देने का आरोप लगा था. उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था. उनके धुर्वा स्थित आवास की कुर्की भी हुई थी.

बाद में उन्होंने सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. उन्होंने हाईकोर्ट में इसको चुनौती दी थी, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई. तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने ससुर सह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन समेत चार सांसदों को 1993 के संसद रिश्वत कांड में 1998 में मिली राहत का हवाला देते हुए क्रिमिनल केस से छूट की मांग की थी.

तब साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने सीता की याचिका को वृहद पीठ को भेज दिया था. उन्होंने पूर्व के फैसले पर दोबारा विचार करने का फैसला दिया था. उन्होंने कहा था कि क्या किसी सांसद या विधायक को ‘वोट के बदले नोट लेने’ की छूट दी जा सकती है. क्या कोई ऐसा कर आपराधिक मामलों से बचने का दावा कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 5 अक्टूबर, 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, सीता सोरेन 2012 में झारखंड विधानसभा में विधायक थीं. उस समय राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए उन पर एक राज्यसभा उम्मीदवार से उसके पक्ष में वोट डालने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने अपना वोट किसी अन्य उम्मीदवार के पक्ष में डाल दिया. सीता सोरेन के ससुर और झामुमो नेता शिबू सोरेन को 1998 की संविधान पीठ के फैसले से बचा लिया गया था. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पैसे लेकर राव सरकार के पक्ष में मतदान करने वाले सांसदों को अभियोजन से छूट दी थी. हालांकि, झामुमो सांसद रिश्वत देने वाले अभियोजन से नहीं बचे थे.

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