Maharashtra: ‘ अन्य पिछड़े समुदायों के अधिकारों पर कब्जा’, मराठा आरक्षण को लेकर सरकार के फैसले पर बोले केन्द्रीय मंत्री राणे..!
केन्द्रीय मंत्री मुख्यमंत्री नारायण राणे ने रविवार कहा कि वह आरक्षण मिलने तक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सभी लाभ मराठाओं को देने के राज्य सरकार फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह अन्य पिछड़े समुदायों के अधिकारों पर कब्जा होगा और इससे राज्य में अशांति पैदा हो सकती है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन शनिवार को खत्म हो गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया। इस दौरान शिंदे ने अपने संबोधन में कहा, ‘मैंने जो वादा किया था, वो निभाया है।’
जरांगे के साथ बातचीत के बाद सरकार ने एक मसौदा अधिसूचना जारी की। जिसमें कहा गया कि यह अधिसूचना उन पर लागू होगी जिनके पास दिखाने के लिए यह रिकॉर्ड हैं कि वह कुनबी समुदाय से हैं। एक मराठा व्यक्ति के रक्त संबंधियों को भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी।
केंद्रीय मंत्री राणे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की। जिसमें उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार के फैसले और आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय को दिए गए आश्वासन से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा, इससे मराठा समुदाय को नुकसान होगा, जिसकी ऐतिहासिक विरासत है और यह अन्य पिछड़े समुदायों (के अधिकारों) पर कब्जा होगा। राणे ने कहा, इससे राज्य में अशांति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि वह सोमवार को भी इस मुद्दे पर बात करेंगे।
वहीं, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने भी राज्य सरकार के फैसले पर असहमति जताई है। उन्होंने मराठों को पीछे वाले दरवाजे से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कराने को लेकर सवाल उठाया है। खेती-बाड़ी से जुड़ा कुनबी समुदाय ओबीसी श्रेणी में आता है। जरांगे पिछले साल अगस्त से मराठाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं और उनके लिए कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं।
वहीं, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ओबीसी की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, मराठाओं को बिना किसी सबूत के कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
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