जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे. इन्होंने आत्मज्ञान की प्राप्ति की
महेंद्र मिश्रा रायगढ़ /महावीर,जयंती जैन धर्म इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म हुआ था. दुनिया भर में जैन समुदाय के लेग इस दिन को बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते है. धार्मिक छंदों को पढ़ते हैं और जरूरतमंद लोगों को सामान दान करते हैं. भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक नेता थे.महावीर जी का जन्म चैत्र मास के 13वें दिन बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था. मान्यता यह है कि ये जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे. इन्होंने आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी. इन्होंने पंचशील सिद्धांत दिए थे और इसके अलावा कई वचन भी दिए थे जो दुनिया के हर समाज के लोगों को प्रेरित करते हैं. चलिए जानते हैं कैसे मनाया जाता है इतिहास.भगवान महावीर को वर्धमान के नाम से भी जाना जाता था. वे जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे. भगवान महावीर का जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व बिहार में हुआ था. उनका जन्म रानी त्रिशला और राजा सिद्धार्थ से हुआ था. इन्होंने चैत्र मास के 13वें दिन जन्म लिया था. इस दिन आधा चंद्रमा निकला था. भगवान महावीर को ध्यान और जैन धर्म में बहुत रुचि थी. 30 वर्ष की आयु में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया और जैन धर्म का अभ्यास करने के लिए अपना सिंहासन छोड़ दिया था.अपने असल रूप को ना पहचानना ही किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती है और यह केवल तभी ठीक की जा सकती है जब आत्म ज्ञान प्राप्त किया जाएहर मनुष्य अपने खुद के दोष की वजह से दुखी होते हैं. वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.जंगल के मध्य में एक व्यक्ति जलते हुए एक ऊंचे वृक्ष पर बैठा है. वह हर किसी को मरते हुए देखता है. लेकिन उसे यह नहीं पता कि जल्द ही उसका भी यही हस्र होगा. वह आदमी मूर्ख है.