नई दिल्ली। तेज रफ्तार में वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। उपभोक्ता मामलों के विधिक माप विज्ञान प्रभाग ने विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के तहत वाहनों की गति मापने के लिए रडार उपकरण संबंधी नए नियम अधिसूचित किए हैं। ये नियम 1 जुलाई 2025 से प्रभाव में आएंगे, जिससे तेज रफ्तार गाड़ी चलाने वालों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
नियमों के पालन के लिए उद्योग जगत को मिला समय
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नए नियमों को लागू करने से पहले उद्योग जगत को आवश्यक तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इससे वाहन निर्माता और अन्य संबंधित पक्ष नई व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से अपना सकें।
रडार उपकरण नियमों के लिए विशेष समिति का गठन
रडार उपकरण नियमों के मसौदे को तैयार करने के लिए रांची स्थित भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (आईआईएलएम) के निदेशक की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया था। समिति ने ओआईएमएल आर-91 के आधार पर प्रारंभिक मसौदा प्रस्तुत किया।
इस मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले राज्य विधिक माप विज्ञान विभागों, आरआरएसएल अधिकारियों, निर्माताओं और संबंधित विशेषज्ञों को विस्तृत प्रस्तुति दी गई ताकि सभी हितधारकों को आवश्यक जानकारी मिल सके।
नियमों से सड़क सुरक्षा को मिलेगी मजबूती
नए नियमों के तहत गति मापने वाले रडार उपकरणों को सटीक और प्रमाणिक बनाया जाएगा, जिससे ओवरस्पीडिंग की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकेगा। इन नियमों का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना है।
नए नियमों से क्या होंगे बदलाव?
- सटीक गति मापन के लिए अत्याधुनिक रडार उपकरणों का उपयोग।
- ओवरस्पीडिंग के मामलों में स्वचालित चालान व्यवस्था।
- ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग को सशक्त बनाने की दिशा में कदम।
सरकार का मानना है कि इन नियमों के प्रभाव में आने के बाद सड़क सुरक्षा के स्तर में उल्लेखनीय सुधार होगा और सड़क पर अनुशासन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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