आलेख:-सुरेश सिंह बैस द्वारा
युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष
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युवा दिवस पर सर्वप्रथम आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं । आप सभी चिर युवा बने रहें एवं भरपूर ऊर्जा से ओतप्रोत रहे। मेरे सुधि पाठक गण वैसे तो आपको ज्ञात ही होगा कि हम युवा दिवस के रूप में हमारे पुरोधा और महान विचारक स्वामी विवेकानंद के जन्म तिथि के अवसर पर मनाते हैं यह भी कह ले कि उनको आदरांजली देने के लिए एक परंपरा युवा दिवस के रूप में शुरू की गई है। स्वामी जी का जीवन तो पूरा एक युग के समान समझ सकते हैं उनका भिन्न-भिन्न स्वरूप भी उनके जीवन चरित्र में दिखाई देता है ।कभी वह सन्यासी तो कभी समाज सुधारक तो कभी उपदेशक सहित कई आयाम में दिखाई देते हैं। ऐसा विशाल व्यक्तित्व उनकाअपने अल्पायु में ही दिखाई देता हैं जो एक महान उपलब्धि है ।ऐसे विरले व्यक्ति एक युग में ही जन्म लेते हैं।आप याद करें जब उन्होंने 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुए ऐतिहासिक वैश्विक सम्मेलन में अपना भाषण प्रारंभ किया था तो उनके भाषण का सबसे पहला उद्बोधन था__”मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों–“!उनके ऐसे आत्मिक और सीधे श्रोताओं के हृदय में उतर जाने वाला ऐसा अंतरंग संबंध निर्मित करने वाले उद्बोधन को सुनकर वहां हाल में उपस्थित श्रोताओं के बीच खलबली सी मच गई थी। सारे श्रोता अचंभित और आत्मविभोर हो चुके थे उनके इस प्यारे संबोधन को सुनकर। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अखिल विश्व में ऐसे सभा में ऐसा संबोधन देने वाले जो सीधे श्रोताओं और वक्ता के बीच कनेक्ट होने वाला संबोधन देने में भी वे प्रथम व्यक्ति थे।स्वामी जी तो हमारी यादों में चिंरयुवा के रूप में स्थापित हैं ।उनकी आयु लगभग 39 वर्ष ही की थी ।जब वह अपनी अंतिम सांस लिए । उनका अल्पायु में ही चले जाना हमारे लिए दु:खद और बहुत बड़ा आघात था। शायद उनका जीवन और लंबा होता तो दुनिया को उनसे और भी बहुत कुछ प्राप्त होता !दुनिया का भला होता !लेकिन होनी को जो मंजूर है वह तो ऊपर वाले के हाथ में निश्चित है! खैर मित्रों युवा दिवस हो और हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी की याद ना आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। वह एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो हाकी जगत में भगवान के रूप में स्थापित हो चुके हैं ।उन्हें हाकी जगत में भगवान कहा जाता है। जर्मनी के तानाशाह हिटलर उनके जादुई
खेल से इतना प्रभावित था उसने उन्हें जर्मनी से खेलने के लिए काफी मनाया और अपने देश के तरफ से खेलने की एवज में उसने कुछ भी मांग लेने का ऑफर देकर हमारे महान खिलाड़ी श्री ध्यानचंद सिंहजी को कहा था। लेकिन उन्होंने स्वाभाविक रूप से बिना किसी लालच का ध्यान करते हुए उनका आफर ठुकरा दिया था ।उनका कहना था मैं अपने देश के लिए खेलता हूं और ताउम्र अपने देश के लिए ही खेलता रहूंगा। पर लानत है हमारे देश की व्यवस्था और सरकार को जिसने उन्हें आज तक भारत रत्न पुरस्कार देने के योग्य नहीं समझा !जो कि उनका हक था और है।
आपको जानकर यह सुखद आश्चर्य होगा कि आज विश्व में सबसे युवा देश हमारा भारत वर्ष है। विश्व में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी भारत में मौजूद है। जो हमारी ताकत और ऊर्जा का केंद्र हैं जिनसे भारत को भविष्य में काफी उम्मीदें और आशाएं हैं।वहीं काफी समय पूर्व से जापान को बूढ़ों का देश के रूप में जाना जाता रहा है ।वहां की आबादी में उम्र दराज लोगों की संख्या ज्यादा रहती थी ।लेकिन जापान ने भी आज अपनी स्थिति बदली है। आज चीन ने उसका स्थान ले लिया है ।अभी चीन की आबादी में बुजुर्गों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा निवास करती है। काफी लंबी हो चली है मेरी बातें इसलिए अपनी बातों को यहां पर समाप्त करता हूं। पुनः फिर बातें होंगी । युवा दिवस की फिर से आप लोग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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