बिलासपुर में छठ महापर्व के पहले अरपा नदी स्थित छठघाट दीयों और आकर्षक लाइटिंग से सजकर तैयार है।
बुधवार को छठ व्रतियों ने खरना के साथ निर्जला रहकर उपवास रखा और शाम को छठी मैया के लिए खास प्रसाद तैयार किया।
गुरुवार की शाम छठ व्रती डूबते सूर्य देव को अर्.डिप्टी सीएम अरुण साव, MLA सुशांत शुक्ला सहित आयोजकों ने की अरपा की महाआरती।सूर्य उपासना के इस महापर्व की विशेषता है कि यह संपूर्ण भक्ति और संकल्प के साथ मनाया जाता है।
यह पर्व न केवल पारिवारिक समृद्धि के लिए होता है, बल्कि जीवन की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी मनाया जाता है और इसमें स्त्री और पुरुष समान रूप से भाग लेते हैं। अज्ञेय नगर निवासी रोशन सिंह ने बताया कि छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के अनुष्ठान से हुई, जिसमें व्रतियों ने सात्विक भोजन किया।
दूसरे दिन बुधवार को खरना के साथ विशेष प्रसादी बनाया गया। इसके साथ व्रतियों का 36 घंटे का कठिन व्रत भी शुरू हो गया है। सात नवंबर यानी शुक्रवार की शम डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पूजा के प्रसाद और फल को एक बांस की टोकरी, जिसे दउरा कहा जाता है।
देवकारी में रखकर पूजा का प्रारंभ होता है। सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और अन्य पूजन सामग्री रखी जाती है। जिसे घर का कोई एक सदस्य अपने सिर पर रखकर श्रद्धा से छठ घाट की ओर ले जाते हैं।
देश के सबसे बड़े छठघाट में एक साथ 50 हजार से अधिक व्रती देंगी अर्घ्य।महिलाएं गाएंगी पारंपरिक छठ गीत तट पर निकलने से पहले पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से दउरा को सिर पर उठा कर लेकर जाएंगे। महिलाएं इस यात्रा में पारंपरिक छठ गीत गाती नजर आएंगी।
बिलासपुर के तोरवा छट घाट में यह नजारा देखते ही बनता है। इसके अलावा अब मरीमाई मंदिर स्थित तालाब और कोनी के आसपास अरपा तट पर व्रती पहुंचते हैं। तट पर व्रतियां अपने घर के किसी सदस्य द्वारा बनाए गए चबूतरे पर बैठती हैं। वहीं मिट्टी से बने छठ माता के चौरे पर पूजा का पूरा सामान सजाकर दीप जलाए जाते हैं।
सूर्यास्त से ठीक पहले सूर्यदेव को अर्घ्य देने का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है, जिसमें भक्त घुटने भर पानी में खड़े होकर पांच बार परिक्रमा करते हैं और संध्या अर्घ्य समर्पित करते हैं।
अरपा नदी की सुंदरता देखती ही बन रही है।छठ महापर्व के लिए ट्रेन से बिलासपुर पहुंचा बंगाल का गेंदा छठ महापर्व की तैयारियों के बीच बिलासपुर में पूजा और सजावट के लिए बड़े पैमाने पर गेंदे के फूलों की खेप बंगाल से पहुंच चुकी है। बुधवार को हावड़ा-मुंबई मेल से फूल उतारे गए, जिन्हें स्थानीय बाजारों में पूजा और साज-सज्जा के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।
पर्व के दौरान विशेष सजावट के लिए गेंदे के फूलों की डिमांड हर साल बढ़ती है। इस बार भी कई श्रद्धालुओं ने फूलों की पहले से बुकिंग कर रखी है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए फूलों का विशेष महत्व है। गेंदे के फूलों का उपयोग अर्घ्य की थाल सजाने, घाटों पर सजावट और पूजा मंडप को सुशोभित करने में किया जाता है।
आज व कल भारी वाहनों के प्रवेश प्रतिबंध पर्व के दौरान तोरवा छठ घाट क्षेत्र में भारी वाहनों का प्रवेश सात नवंबर की दोपहर दो बजे से लेकर आठ नवंबर की सुबह 11 बजे तक पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। जनसुविधा के लिए निम्नलिखित डायवर्सन किए गए हैं।
यातायात पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि, वे परिवर्तित मार्ग का पालन करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।ट्रैफिक पुलिस ने जारी किया रूट प्लान लोगों को असुविधा और जाम से बचने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने रूट प्लान जारी किया है। इसके तहत महमंद मोड़ से शहर में प्रवेश करने वाले सभी भारी वाहनों को सिरगिट्टी की ओर डायवर्ट किया जाएगा।चिल्हाटी तिराहा से शहर में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों को सेंदरी-मोपका बाईपास से आगे भेजा जाएगा। हल्के वाहन, जैसे दुपहिया और कार, मोपका-सरकंडा- लिंगियाडीह- दयालबंद-तोरवा मार्ग से आवागमन कर सकेंगे।
छठ घाट तिराहा डायवर्सनः इस तिराहे से छठ घाट की ओर सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा, कार आदि वाहनों को आरके नगर लिंगियाडीह रोड से डायवर्ट किया जाएगा।धान मंडी मोड़ (तोरवा पेट्रोल पंप) डायवर्सनः यहां से छठ घाट की ओर सभी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
कार आदि वाहनों को गुरुनानक चौक, दयालबंद होते हुए डायवर्ट किया जाएगा।बाजारों में छठ पूजा की रौनक बुधवार को बिलासपुर के बाजारों में छठ पूजा की तैयारी का उत्साह देखते ही बन रहा था।
पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए लोग दोपहर से ही बाजारों का रुख कर रहे थे। बुधवारी, शनिचरी, तोरवा, बृहस्पति, गोल बाजार, देवकीनंदन चौक, मंगला और सरकंडा के फुटपाथ पर सजी दुकानों पर सूप, दउरा, अदरक, मूली, ईख, नारियल, नारंगी, और केला जैसी सामग्री की भारी मांग रही। सूप और दउरे की मांग विशेष रूप से रही।फलों और वस्त्रों की जमकर खरीदारी छठ पूजा के लिए फलों की जबरदस्त मांग देखने को मिली। नारियल के अलावा, नींबू, सेब, केला, संतरा, अमरूद, नाशपाती और अनानास जैसे फल विशेष रूप से छठ के बाजार की रौनक बढ़ा रहे थे।
बाजार में सेब की भी भरपूर आवक थी। सेब एवं केले की मांग सबसे अधिक रही। पूजा के लिए गमछा और अन्य वस्त्रों की खरीदारी भी जोरों पर रही। साड़ियों की दुकानों पर दिनभर ग्राहकों की भीड़ देखी गई।कल देंगे उगते सूर्य को अर्घ्य छठ महापर्व के अंतिम दिन आठ नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है।
इस दौरान व्रती पवित्र जल में कमर तक खड़े होकर सूर्य देव की पूजा करती हैं। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल, कच्चे दूध की कुछ बूंदे, लाल चंदन, फूल, अक्षत और कुश डाल लेंगे। इसके बाद सूर्य देव को धीरे-धीरे जल प्रवाहित कर अर्घ्य देंगे। इसके साथ सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए दउरा और सूप में रखे सामग्री से पूजा करेंगी।
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