छत्तीसगढ़ कोल घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी और रजनीकांत तिवारी का नार्को टेस्ट किया जाएगा। इसके लिए ACB-EOW ने आवेदन लगाया है। वहीं शराब घोटाले मामले में न्यायिक रिमांड में रायपुर की जेल में बंद रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा की सोमवार को ACB कोर्ट में.इस संबंध में EOW की ओर से रायपुर की स्पेशल कोर्ट में आवेदन लगाया गया है।
फिलहाल आवेदन पर सुनवाई होगी उसके बाद ही इसकी अनुमति दी जाएगी।नार्को टेस्ट व्यक्ति को सम्मोहन की स्थिति में ले जाता है और व्यक्ति जानकारी देने से पहले सोचने-समझने की स्थिति में नहीं रहता है।अब जानिए क्या है नार्को टेस्ट, जो लाता है सच सामनेआरोपी खुद को बचाने के लिए अक्सर झूठी कहानी बनाता है। पुलिस को गुमराह करते हैं। इनसे सच उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट किया जाता है।
नार्को टेस्ट में साइकोएस्टिव दवाई दी जाती है। जिसे ट्रुथ ड्रग भी कहते हैं। जैसे कि सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल।छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध को देखते हुए रायपुर में नार्को टेस्ट की सुविधा शुरू की गई है।सोडियम पेंटोथल कम समय में तेजी से काम करने वाला एनेस्थेटिक ड्रग है। इसका इस्तेमाल सर्जरी के दौरान बेहोश करने में सबसे ज्यादा होता है। ये केमिकल जैसे ही नसों में उतरता है, शख्स बेहोशी में चला जाता है।
बेहोशी से उठने के बाद भी आरोपी को पूरा होश नहीं रहता।दावा है कि, इस हालत में आरोपी जानबूझकर कहानी नहीं गढ़ सकता, इसलिए सच बोलता है। नार्को टेस्ट में जो ड्रग दिया जाता है, वो बेहद खतरनाक होता है। जरा सी चूक से मौत भी हो सकती है या आरोपी कोमा में भी जा सकता है। यही वजह है कि नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की मेडिकल जांच की जाती है।
इनका नहीं होता नार्को टेस्टअगर आरोपी को मनोवैज्ञानिक, आर्गन से जुड़ी या कैंसर जैसी कोई बड़ी बीमारी है, तो उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जाता। नार्को टेस्ट अस्पताल में इसलिए कराया जाता है, ताकि कुछ गड़बड़ होने पर इमरजेंसी की स्थिति में तत्काल इलाज किया जा सके। व्यक्ति की सेहत, उम्र और जेंडर के हिसाब से नार्को टेस्ट की दवाइयां दी जाती है।

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