छत्तीसगढ़ का लोक जीवन लोकगीतों के बिना अधूरा है, गरबा का आयोजन

राजेन्द्र देवांगन
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देव संस्कृति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में गरबा नृत्य व जसगीत का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि संस्था की अध्यक्ष शशि प्रभा थिटे थी। अध्यक्षता नरेंद्र नायक के आतिथ्य में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। स्कूली बच्चे उर्वशी ध्रुव, रेनू साहू, चांदनी साहू योगिता साहू दिव्यानी साहू , सुमित्रा साहू मुस्कान चंद्राकर द्वारा एकल युगल व सामूहिक जस गीतों की प्रस्तुति दी।

विद्यालय के 300 बच्चों द्वारा गरबा नृत्य कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।मुख्य अतिथि शशि प्रभा थिटे ने कहा कि छत्तीसगढ़ का लोक जीवन गीतों के बिना अधूरा है। यहां के लोकगीतों में जस गीत का प्रभाव बहुत ही महत्वपूर्ण है।

यह गीत देवी की स्तुति, उनसे विनती व प्रार्थना आदि के लिए गया जाता है। नरेंद्र नायक ने कहा कि गरबा नृत्य में गरबो नमक मिट्टी की मटके में पानी भरकर इसके चारों ओर महिलाओं द्वारा किए जाने वाला नृत्य हैं। यह गुजरात राज्य का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। इसमें तीन तालियों का महत्व होता है। गरबा नृत्य में महिलाएं ताली, चुटकी, डांडिया व मंजीरों का प्रयोग भी करती है।

प्राचार्य कुबेर प्रकाश गिरी ने कहा कि गरबा गीतों की जरिए देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर की बीच हुई नौ दिवसीय युद्ध की जीत का प्रतीक दिखाया जाता है। इस गीत में भक्ति, प्रेम और बुराई पर अच्छाई की जीत के बारे में बात की जाती हैं। गरबा गीतों के जरिए देवी के गीत या कृष्ण लीला से जुड़े गीत गाए जाते हैं।

इस मौके पर प्राचार्य कुबेर प्रकाश गिरी, शशि प्रभा थिटे, नरेंद्र नायक नंदकुमार साहू दूषण लाल साहू ,कृष्ण कुमार साहू ,दिनेश प्रताप ठाकुर, जितेन चक्रधारी, ऋषभ साहू, लोकेश चंद्राकर, योगेंद्र देवांगन, रेखराम पटेल, अनीता व अन्य रहे।

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