छत्तीसगढ़ में 60 से ज्यादा जवानों की हत्यारी ‘निर्मला’ भी ढेर

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-नारायणपुर बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया। ये देश में नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है। खास बात यह है कि इस ऑपरेशन में शामिल सभी जवान पूरी तरह से सुरक्षित हैं।.इस ऑपरेशन की रणनीति की इंस्पिरेशन मकड़ी है।

सुरक्षाबल के एक अफसर ने बताया- मकड़ी के जाल की तरह जवानों ने घेराबंदी की। इसमें फंसने के बाद नक्सलियों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला। बैक फायर से पहले ही उन्हें मार गिराया।एनकाउंटर में नक्सलियों के DKSZC कैडर की नीति उर्फ निर्मला भी मारी गई है। उस पर 25 लाख का इनाम था। इस खूंखार महिला नक्सली ने अलग-अलग मुठभेड़ में 60 से ज्यादा जवानों की हत्या की थी।

पढ़िए इस सफल ऑपरेशन की कहानी, पार्ट-2…नक्सली U,V और Y शेप के एम्बुश लगाया करते थे। इनमें जवानों को बड़ा नुकसान होता रहा है, लेकिन अब नक्सलियों को मात देने के लिए नई स्ट्रैटजी का इस्तेमाल सुरक्षाबल कर रहे हैं।12 किलो वजन लेकर 40 किमी पैदल चली महिला कमांडोंनक्सल ऑपरेशन में BSF, CRPF, STF और बस्तर फाइटर्स के साथ दुर्गा और दंतेश्वरी फाइटर्स की महिला कमांडो भी बराबरी से मुकाबला कर रही हैं।

एनकाउंटर के बाद जब फोर्स की वापसी हो रही थी तब हमें AK-47 जैसे वैपन लिए महिला कमांडो हर दस्ते में दिखाई दीं।राइफल के साथ बुलेट और दूसरी जरूरतों का सामान मिलाकर करीब 12 किलो का वजन इन महिला कमांडो पर था। ये उन जगहों पर चल रही थीं, जहां रास्ते थे ही नहीं।

कहीं पहाड़, कहीं खेत, मेड़ और पंगडंडियों से भरे रास्तों से नक्सलियों के गढ़ में घुसकर महिला कमांडो ने अपनी ताकत दिखाई। सुरक्षा कारणों से ऑपरेशन में शामिल महिला कमांडों की जानकारी नहीं दी गई।बस्तर IG सुंदरराज पी कहते हैं- ‘माओवादियों के खिलाफ चल रहे सभी ऑपरेशन्स में महिला कमांडों ग्राउंड जीरो में जा रही हैं। बस्तर, दुर्गा और दंतेश्वरी फाइटर्स के साथ DRG की महिला कमांडो ऑपरेशन में रहीं, जिसका परिणाम भी काफी अच्छा रहा।अमावस की रात में नाइट विजन कैमरा आया कामगुरुवार दोपहर 3 बजे फोर्स दंतेवाड़ा से छिंदनार के लिए निकली थी। दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने बताया कि इस समय मानसून का अंतिम दौर है।

इंद्रावती नदी उफान पर है। नदी-नाले भरे हुए हैं। पेड़ और झाड़ियां भी बढ़ चुकी हैं। जिस दिन ऑपरेशन हुआ, वो रात भी अमावस की थी।इस रात जंगलों में विजिबिलिटी ना के बराबर होती है। इसके बावजूद तय समय पर टारगेट को टीम ने अचीव किया।

उन्होंने बताया कि फोर्स का नाइट विजन कैमरा वहां तक पहुंचने में काम आया और फिर अगले दिन मुठभेड़ हुई।27 किमी दूर नदी, फिर नाला-पहाड़, वाहनों की पहुंच 2 किमीजिस जगह मुठभेड़ हुई वो इलाका दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर और कांकेर जिले का बॉर्डर एरिया है। ओरछा थाना क्षेत्र के अंतर्गत गवाड़ी, थुलथुली, नेंदूर और रेंगावाया गांव के बीच पहाड़ी में ये नक्सल एनकाउंटर हुआ है।

दंतेवाड़ा से करीब 27 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी में बने छिंदनार ब्रिज पहुंचने के 1 से 2 किलोमीटर के बाद यहां से कार या किसी बड़े चार पहिया वाहन से सफर करना मुश्किल है। इसके बाद बाइक से ही आगे बढ़ना होता है।खराब रास्ते और नालों को पार कर बेड़मा पहुंचने के बाद का सफर पैदल ही तय करना होता है।

यहां बड़े और मध्यम 3 पहाड़ पार करके ही। थुलथुली गांव तक पहुंचा जा सकता है। ऐसे में वहां तक जाना और वापसी भी फोर्स के लिए बड़ी चुनौती थी।महिला बटालियन बनाने की तैयारी में थी नक्सली नीतिएनकाउंटर में मारे गे 31 नक्सलियों में 18 पुरुष और 12 महिलाएं शामिल हैं। इसमें से 14 नक्सलियों की शिनाख्त हुई है। इसमें खूंखार नक्सली नीति भी थी।नीति उर्फ निर्मला करीब 15 साल की उम्र में ही माओवादी संगठन में शामिल हो गई थी। शुरुआत में पार्टी सदस्य के रूप में काम किया। उसकी फुर्ती और तेज दिमाग को देखते हुए बड़े कैडर्स ने इसे ACM (एरिया कमेटी मेंबर) की जिम्मेदारी दी।

इसके बाद से ये बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कोंडागांव जिले में सक्रिय थी।दंतेवाड़ा SP गौरव राय के मुताबिक, 2008 में दंतेवाड़ा-नारायणपुर की सरहदी क्षेत्र में जवानों को एंबुश में इसने फंसाया था। जिसमें 18 जवानों की शहादत हुई थी। इसकी लीडरशिप में यह जवानों पर किया पहला बड़ा नक्सली हमला था। नक्सल संगठन में बड़े कैडर्स के बीच नीति की अच्छी पकड़ बनने लगी थी।

इसकी बनाई प्लानिंग से नक्सलियों को काफी हद तक कामयाबी मिली थी। इसके बाद नीति का प्रमोशन कर उसे DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर) कैडर में लिया था। नीति उर्फ निर्मला संगठन में नई भर्ती हुई लकड़ियों को ट्रेनिंग भी देती थी। उन्हें गुरिल्ला वॉर का प्रशिक्षण देती थी।एनकाउंटर के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों ने भारी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं। इनमें इंसास, SLR, AK-47, BGL जैसे हथियार शामिल हैं।बताया जा रहा है कि नीति महिला नक्सलियों की बटालियन बना रही थी। वो खुद इंसास, SLR राइफल चलाती थी।

DKSZC कैडर में आने के बाद ये अपने पास AK-47 रखती थी। SP के मुताबिक, इन 4 जिलों में अलग-अलग मुठभेड़ों में इसने कुल 60 जवानों की हत्या की है।दैनिक भास्कर के नक्सल सूत्रों ने बताया, कुछ साल पहले नक्सलियों ने इसे DVCM से प्रमोशन कर इसे DKSZC कैडर दिया और पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी का इंचार्ज बना दिया था।

इस डिवीजन के अंदर दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और कोंडागांव जिले आते हैं। नक्सलियों की कंपनी नंबर 6 भी सक्रिय है।दंतेवाड़ा-नारायणपुर मार्ग में था कब्जादंतेवाड़ा जिले को बारसूर-पल्ली मार्ग से होते हुए नारायणपुर से जोड़ने वाली सड़क पर नक्सलियों की पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी का ही कब्जा था। करीब 4 साल पहले जब इस सड़क का निर्माण चल रहा था तो नीति के साथ भारी संख्या में नक्सली यहां पहुंच गए थे।

जिसके बाद करीब 70 से ज्यादा पेड़ों को काट कर सड़क पर डाल दिया था। 10 से ज्यादा IED लगाई थी। मजदूरों की पिटाई की थी। इस सड़क पर पूरी तरह से कब्जा कर रखा था। हालांकि, धीरे-धीरे जब फोर्स आगे बढ़ी तो नक्सली बैकफुट पर आ गए थे।एनकाउंटर के बाद गवाड़ी गांव से लौटते वक्त नक्सलियों के शव जवानों के कंधे पर थे। जवानों की टीम छोटी-छोटी टुकड़ियों में लौट रही है। छोटा सा स्टोव भी।

जहां जगह मिली, शवों को रखकर ये टुकड़ियां मैगी बनाकर अपना पेट भर रही थीं।एक-दूसरे को गले लगाए हुए मिली नक्सल जोड़े की लाशेंएनकाउंटर से लौटते वक्त एक जवान से हमारी बात हुई। उन्होंने बताया कि नक्सली चारों तरफ से घिर गए थे। सुरक्षाबलों की तरफ से लगातार फायरिंग चल रही थी। एनकाउंटर के बाद जब नक्सलियों की लाशें तलाश रहे थे। तभी एक नक्सल जोड़ा ऐसा मिला जो मौत के बाद भी एक दूसरे को गले लगाए हुआ था।ग्रामीण बोले- सिर्फ लौटते हुए जवानों को देख रहेदैनिक भास्कर की टीम इंद्रावती नदी के बाद नाला पार कर आगे बढ़ी तो गांव में 3 से 4 घर दिखाई दिए।

मनीराम अपनी बेटी को कंधे पर उठाए गांव के‌ आसपास हो रही हलचल को देख रहा था। वह बताता है कि पता नहीं क्या हुआ है। हम तो सिर्फ गांव से गुजरने वालों को देख रहे हैं।फोर्स वापस हो रही थी और हम ग्राउंड जीरो की तरफ बढ़‌ रहे थे। बेड़मा से‌ आगे बढ़ने पर पहाड़ी से पहले केवल एक ही घर दिखाई दिया। ये घर लक्ष्मण कश्यप का था। लक्ष्मण और उसकी पत्नी ने हमें बताया कि सुरक्षाबल के जवान उनके घर के आसपास से नहीं गए थे।

अब लौट रहे हैं तो हमें पता चला है।नक्सली का आखरी खत भास्कर को मिलाग्राउंड जीरो में जब भास्कर की टीम पहुंची तब हमें एक पर्स दिखाई दिया। जंगल के भीतर मिले इस पर्स में किसी नक्सली बुदरम दादा को लिखा गया लेटर था। जो अस्पष्ट गोंडी भाषा में था। जानकारों ने बताया कि इस पत्र में बंदूक से संबंध में लिखा गया था। ग्राउंड से वापसी के बाद हमने पर्स और खत पुलिस के सुपुर्द किया।इससे संबंधित ये खबरें भी पढ़िए…छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सल-ऑपरेशन…2 घंटे में 31 नक्सली ढेर:16 की पहचान, 1.30 करोड़ के इनामी; जवानों ने रोटी-मैगी खाकर सफर पूरा कियातारीख 4 अक्टूबरदिन शुक्रवारसमय दोपहर 1 बजेये वो दिन और तारीख है जब दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया। करीब 1000 जवानों ने महज 2 घंटे की मुठभेड़ में ही 31 नक्सलियों को मार गिराया। सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस के जवान 3-4 पहाड़ और नदी-नाले पार कर नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचे थे। पढ़ें पूरी खबर…छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सली मार गिराए:AK-47 समेत कई ऑटोमैटिक हथियार बरामद; महिला नक्सली कमांडर के भी मारे जाने की खबरछत्तीसगढ़ में शुक्रवार को सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन हुआ। इसमें 31 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। ये आंकड़ा बढ़ सकता है। फिलहाल 31 नक्सलियों के शव बरामद होने की पुष्टि की गई है। मुठभेड़ दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर हुई।

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