सरकारी नियमों की अनदेखी से सरकार को हो रहा वित्तीय नुकसान, चालकों के परिवार निजी कार्यों के लिए कर रहे हैं वाहन उपयोग

राजेन्द्र देवांगन
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 बालोद। भले ही केंद्र सरकार ने देश भर से सरकारी वाहनों से वीआईपी कल्चर समाप्त कर दिया हो परंतु सरकारी वाहनों का अभी भी धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है। हैरानी की बात है कि यह दुरुपयोग कोई और नहीं बल्कि विभिन्न विभागों के सरकारी वाहन चालक कर रहे हैं।

सरकारी नियमों की उड़ा रहे धज्जियां

हालात यह है कि इस तरह के दुरुपयोग से जहां सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, वही सरकार को लाखों रुपए के पेट्रोल व डीजल का भी प्रतिदिन चूना लग रहा है। जिले के स्वास्थ्य विभाग से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का वाहन रोज 5 बजे के बाद उनके चालक के घर की शोभा बढ़ाता है।

घर के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल

यही नहीं चालक सरकारी वाहन का इस्तेमाल अपने परिवार के लिए करते है, जो कि नियम के खिलाफ है। जानकारी के मुताबिक, बालोद में ऐसे कई सरकारी वाहन है, जिनमें प्रतिदिन सुबह अधिकारी से पहले उनके ड्राइवरों के परिवार के सदस्य सैर करते हैं।

ड्राइवरों के आवास पर शान बढ़ाता है सरकारी वाहन

गौरतलब हो कि सरकारी नियम के मुताबिक, सरकारी वाहन रात को या तो अधिकारी के कार्यालय में खड़ा होना चाहिए या अधिकारी के आवास पर परंतु बालोद जिले में स्थिति बिलकुल भिन्न है। यहां सरकारी वाहन न तो रात को अधिकारी के कार्यालय में रहता है न ही उनके घर पर। यह वाहन ड्राइवरों के आवास पर उनकी शान बढ़ाते हैं। इससे प्रतिदिन लाखों का नुकसान सरकारी खजाने में हो रहा है।

क्या कहता है नियम

  • सरकारी वाहन का उपयोग शासकीय कामों के लिए ही किया जाना है।
  • वाहन सड़क पर निकलता है, तो उसमें उस अधिकारी का मौजूद होना जरूरी है, जिसके लिए वाहन है।
  • वाहन में परिवार के लोगों को बैठाकर घुमाना, अपने निजी कार्य के लिए उपयोग करना गलत है।
  • निजी निवास में वाहन खड़ा करना शासकीय मोटर एक्ट के तहत गलत है। इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है।

वाहन चालक के दो फेरो में शासन को लाखों का बट्टा

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के लिए आबंटित सरकारी वाहन सुमो नंबर सीजी 02-6136 में वाहन चालक पिछले 10-12 सालों से रोज घर से कार्यालय और कार्यालय से घर आता-जाता है। इस तरह दो फेरे में रोजाना 24 किमी का सफर किया जा रहा है। मतलब 7-8 हजार रुपए का सरकारी धन वाहन चालक अपने घर आने जाने पर खर्च कर रहा हैं। इस तरह 10-12 साल से घर से कार्यालय और कार्यालय से घर आने जाने में सरकारी वाहन के उपयोग से शासन की तकरीबन 10 लाख से अधिक की राशि खर्च हो गई है।

सरकारी वाहनों के दुरुपयोग पर नही कोई लगाम

जानकारी के मुताबिक, लोग इस बात से काफी खफा है कि एक और तो सरकार वीआईपी कल्चर समाप्त कर रही है, वहीं दूसरी और सरकारी वाहनों के दुरुपयोग पर कोई लगाम नहीं लग रही है। अधिकारियों के ड्राइवर धड़ल्ले से ड्यूटी के बाद सरकारी वाहनों में अपने आवास पर पहुंचा कर मजे कर रहे है। यदि समय रहते इस प्रक्रिया पर रोक नहीं लगी तो सरकारी नियमों को लागू करने का भी कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।

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