नई दिल्ली।कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है। इससे निपटने के लिए पूरी दुनिया वैक्सीन की खोज में लगी हुई है। हालांकि रूस ने दावा किया था कि उसने वैक्सीन बना ली है। इधर अन्य देश भी वैक्सीन पर काम तेजी से कर रहे हैं। अब एक्सपर्ट्स की राय है कि Oxford-AstraZeneca वैक्सीन रूस और चीन के मुकाबले बेहतर है। एक्सपर्ट्स ने रूस और रूस द्वारा बनाई गई कोरोना वायरस वैक्सीन पर कई कमियों का हवाला दिया है। ये वैक्सीन एक कॉमन कोल्ड वायरस (common cold virus) पर आधारित है। कई जानकारों का मानना है कि इसका असर कम है।
चीन ने पहले ही इमरजेंसी के दौरान CanSino Biologics को इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। CanSino कोरोना वैक्सीन जो कि अभी फेज 3 के ह्यूमन ट्रायल (human trial) के दौर से गुजर रही है। यह एडेनोवायरस (adenovirus) 5 या Ad5 का संशोधित (modified) रूप है। अभी इसका ट्रायल पूरी तरह से पूरा नहीं होने के बावजूद कंपनी बड़े पैमाने पर कई देशों के साथ इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी देने की बातचीत कर रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस की पहली वैक्सीन स्पुतनिक-वी(Sputnik V) भी Ad5 आधारित है।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University) के एक वैक्सीन पर रिसर्च करने वाले अन्ना डर्बिन (Anna Durbin) ने कहा कि Ad5 को लेकर मुझे चिंता इस लिए है कि इसमें बहुत सारे लोगों में इम्युनिटी पाई जाती है। इसके लेकर यह निश्चित नहीं हुआ जा सकता है कि यह 70 फीसदी असर नहीं करेगा। बल्कि यह 40 फीसदी असर कर सकती है। यह तब तक बेहतर है जब तक कोई और वैक्सीन नहीं आ जाती।रिसर्च करने वाले कई दशकों से तमाम रोगों के खिलाफ Ad5 तकनीक पर आधारित प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन इस तकनीकी पर आधारित वैक्सीन का उपयोग बड़े पैमाने पर नहीं होता है। इस तकनीकी के तहत टारगेट वायरस से जींस तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिक हार्मलेस वायरस को वेक्टर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इस वैक्सीन के मामले हानिरहित नोवल कोरोना वायरस ह्यूमन सेल्स में वास्तविक वायरस से लड़ने के लिए इम्युनिटी क्रिएट करने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। लेकिन तमाम मामलों में लोगों के अंदर Ad5 एंटीबॉडीज हो सकते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम वास्तविक कोरोना वायरस की जगह पर वेक्टर पर अटैक कर सकता है। जिससे यह वैक्सीन अप्रभावी हो सकती है।
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