बिलासपुर में अप्रेंटिस छात्र कि मौत पर दूसरे दिन भी हुआ जमकर हंगामा..!
बिलासपुर। बीसीएन डिपो में अप्रेंटिस की मौत के मामले में दूसरे दिन बुधवार को भी तनाव का माहौल रहा। मृतक के स्वजन को मुआवजा देने की मांग को लेकर नाराज अन्य अप्रेंटिस रेलवे अस्पताल के सामने सड़क पर बैठ गए है। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए आरपीएफ व पुलिस भारी संख्या में तैनात रही। हालांकि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा देने का आश्वासन रेल अफसरों ने दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
बिलासपुर स्टेशन के करीब रेलवे के बीसीएन यार्ड में मंगलवार को महाराष्ट्र जलगांव निवासी प्रसाद गजानन काले की करेंट लगने से मौत हो गई। इस घटना के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अप्रेंटिस गुस्से में थे। घटना के दिन जमकर हंगामा किया और मृतक के स्वजन को मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने की मांग पर अड़े रहे। उम्मीद थी कि रेलवे उनकी मांग पर ठोस निर्णय लेकर मृतक के स्वजन का सहयोग करेगी।
लेकिन, रेलवे से किसी तरह आश्वसन नहीं मिला। इसके चलते 250 से अधिक प्रशिक्षु मंगलवार से रेलवे अस्पताल के सामने डटे रहे। बुधवार की सुबह से भी विरोध का माहौल रहा। यह देखकर रेल प्रशासन सकते में आ गया। विवाद या तोड़फोड़ न हो जाए इसी भय से जीएम व डीआरएम कार्यालय के सामने भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया। इसके अलावा अस्पताल परिसर में भी आरपीएफ के जवानों की तैनातगी की गई। इन जवानों ने विरोध कर रहे लोगों को अस्पताल के बाहर रोककर गेट बंद कर दिया।
इस पर प्रशिक्षु अस्पताल के सामने सड़क पर बैठ गए। उनका कहना था कि घटना को 24 घंटे हो चुका है। इसके बाद भी रेलवे इस मामले में ठोस निर्णय नहीं ले पाई है। वह इसी बात पर अड़े रहे कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, वह विरोध जारी रखेंगे। ऐसी स्थिति में रेलवे के कुछ जिम्मेदार अफसर अस्पताल पहुंचे और मृतक के स्वजन से चर्चा की। उन्हें बताया गया कि अप्रेंटिस एक्ट में इस तरह की घटना में मुआवजे का प्रविधान है। लेकिन, इसके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। प्रविधान के तहत, जो मुआवजा बनेगा भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद ही स्वजन पोस्टमार्टम कराने के लिए राजी हुए। इसके साथ ही विरोध भी समाप्त हो गया।
नहीं पहुंचे डीआरएम
विरोध कर रहे प्रशिक्षु यह मांग करते रहे कि मामले को लेकर डीआरएम यहां पहुंचें और स्वजन से बात कर आश्वसन दें। वह बार-बार इसको लेकर दबाव बनाने का प्रयास करते रहे। इसके बावजूद डीआरएम नहीं पहुंचे। यही कारण है कि विरोध समाप्त होने की बजाय बढ़ते जा रह था। हालांकि बाद में जिम्मेदार रेल अफसर पहुंच गए।
समर्थन में सभी जगह के अप्रेंटिस
इस घटना से न केवल बिलासपुर बल्कि, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जिन-जिन जगहों पर अप्रेंटिस प्रशिक्षण ले रहे हैं। वह सभी बुधवार को सुबह से बिलासपुर पहुंच गए। सभी घटना के विरोध का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, विरोध जारी रहेगा। घटना केवल रेलवे की लापरवाही की वजह से हुई है। उन्होंने कार्य के दौरान अप्रेंटिस को सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाने का भी विरोध किया।
आठ लाख से अधिक बनेगा मुआवजा
रेलवे अस्पताल में चर्चा के दौरान सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह ने बताया कि अप्रेंटिस एक्ट में मुआवजा देने का प्रविधान है। हालांकि वह प्रक्रिया पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद शुरू होगी। लगभग आठ लाख रुपये से अधिक मुआवजा बन सकता है। उनका यह भी कहना था कि शव को घर तक लेकर जाने के लिए स्वजन की पूरी मदद रेल प्रशासन के द्वारा की गई है।
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