Sandeshkhali Case: संदेशखाली मामले पर ममता सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, सीबीआई जांच पर रोक से इनकार..!
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ईडी के अधिकारियों पर हमले से संबंधित संदेशखाली हिंसा मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ हाई कोर्ट के आदेश में पश्चिम बंगाल पुलिस के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने पर सहमत हुई।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से सवाल करते हुए कहा कि शाहजहां शेख को इतने दिनों तक अरेस्ट क्यों नहीं किया गया? राज्य सरकार ने कहा कि सात गिरफ्तारी हुईं थी, सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। जस्टिस मेहता ने कहा कि राज्य की पुलिस को जांच में चार्जशीट दाखिल करने में कितना समय लगता है।ईडी के वकील एसवी राजू ने बताया कि ईडी अधिकारियों को बुरी तरह से पीटा गया,
जब वह एक घोटाला मामले की जांच कर रहे
ईडी ने बताया कि मुख्य आरोपी शेख शाहजहां ने एक एफआईआर भी दर्ज कराई थी। यह पीटे गए अधिकारियों के खिलाफ थी। इस मामले में पुलिस की भूमिका बेहद नदारद नजर आती है। मास्टरमाइंड को सीबीआई को सौंपने में काफी समय लग गया।
बता दें कि 5 मार्च को कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। साथ ही, पश्चिम बंगाल पुलिस को हमले के मास्टरमाइंड आरोपी शेख शाहजहां को उसी दिन सीआईडी की हिरासत से सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की। इसमें कहा गया कि जांच को सीबीआई को सौंपने का हाई कोर्ट ने आदेश बहुत जल्दी पारित कर दिया था।
संदेशखाली में ईडी अधिकारियों के साथ मारपीट करने के बाद मामले का मुख्य आरोपी शाहजहां शेख काफी दिनों तक फरार था। करीब 55 दिनों की फरारी काटने के बाद बंगाल पुलिस ने 29 फरवरी को शाहजहां शेख को अरेस्ट कर लिया था। शाहजहां शेख इन 55 दिनों तक कहां रहा किसी को नहीं पता।
सीबीआई ने पार्टी से निकाले गए टीएमसी नेता शाहजहां शेख के 9 करीबी सहयोगियों को समन भेजा है। एजेंसी ने उन्हें सोमवार को यानी कि आज पेश होने के लिए कहा है। एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी। सीबीआई को इन सभी 9 लोगों पर पांच जनवरी को शाहजहां शेख के आवास पर छापेमारी के दौरान ईडी की टीम के अधिकारियों पर हमला करने में शामिल होने का शक है।
वहीं, संदेशखाली की स्थानीय महिलाओं ने टीएमसी नेता और उनके सहयोगियों पर जबरन उनकी जमीनों पर कब्जा करने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने सत्तारूढ़ टीएमसी पार्टी परत शाहजहां शेख को बचाने का आरोप लगाया था।
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