आदिवासी नेता नंदकुमार साय अब करेंगे क्या.? बीजेपी छोड़ कांग्रेस का थामा था दामन…कांग्रेस ने नहीं दिया टिकट…जाने उनके टिकट नहीं मिलने का कारण व राजनीतिक सफर…!
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले अपनी राजनीतिक महत्त्वकांक्षाओं कई नेताओं ने दलबदल किया था। वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय का नाम सूची में सबसे प्रमुख था। अपना पूरा राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता के तौर पर बिताने के बाद इसी साल मई के महीने में उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश कर लिया था। नंदकुमार साय का कहना था कि भाजपा में उनकी कोई सुनता नहीं है और लगातार उनकी उपेक्षा हो रही है। कांग्रेस में प्रवेश करने के बाद उन्हें हर शासकीय कार्यक्रम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ देखा गया। साय को सीएम भूपेश बघेल ने राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष बनाया और उनकी वरिष्ठता का लिहाज करते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया,लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में नहीं उतारा।
हांलाकि, नन्दकुमार साय सरकार में औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष हैं और पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि नन्दकुमार साय को आल रेडी कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है लेकिन सवाल यह भी है कि उनके द्वारा बार बार चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर किये जाने के बाद भी उन्हें तवज्जो नहीं दिया गया ।
टिकट नहीं मिलने का संभावित कारण
फिलहाल, अंदर के राजनीतिक वजह जो भी हो लेकिन सूत्रों की माने तो इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया में विगत माह हुई एक वायरल खबर को माना जा रहा है। विगत माह मीडिया में यह खबर जोर शोर से आयी कि आद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष नंदकुमार साय अपने सगे रिश्तेदारों को ही विशेष सहायक और निजी सहायक नियुक्त कर दिया जो बात ऊपर तक चली गयी और मामला बिगड़ गया । सोशल मीडिया में यह भी खबर आई कि नन्दकुमार साय को विधानसभा चुनाव लड़ाने के बजाय पार्टी इन्हें लोकसभा के लिए तैयार कर रही थी लेकिन इनकी प्रबल इच्छा विधानसभा चुनाव लड़ने की थी इसलिए इन्होंने 3-4 जगह से दावेदारी कर दी ।इस बात से पार्टी के नेताओं में इनके प्रति नाराजगी बढ़ गयी।
साय लड़ना चाहते थे चुनाव
नंदकुमार साय ने अपने गृह जिले जशपुर की लैलूंगा विधानसभा सीट से टिकट के दावेदारी भी पेश की थी। चर्चा थी कि उन्हें जशपुर, पत्थलगांव, कुनकुरी या फिर लैलूंगा से उम्मीदवार बना सकती है, किंतु साय को मौका नहीं मिला, इन चारों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी घोषित हो चुके है। हालांकि अब इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस उन्हें लोकसभा चुनाव में मौका दे सकती है।
BJP छोड़ने का क्या कारण बताया था?
1 मई 2023 को भाजपा को भेजे गए अपने इस्तीफे में साय ने लिखा था कि ‘ आज भारतीय जनता पार्टी जिसके गठन से लेकर आज पर्यन्त तक पूरे मेहनत एवं ईमानदारी से सींच कर फर्श से अर्श तक पहुंचाया था, उसे छोड़ते समय अत्यंत पीड़ा एवं दुख तो हो रहा है, लेकिन वर्तमान में पार्टी में मेरी छवि एवं गरिमा को जैसे आहत किया जा रहा था, उसके अनुरूप अपने आत्मसम्मान को देखते हुए मेरे पास अन्य कोई विकल्प नही बचा है। भारतीय जनता पार्टी में मेरे साथ कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं एवं साथियों का बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद।
नंदकुमार साय का राजनीतिक सफर
वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय 5 बार सांसद , तीन बार विधायक, 2 बार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वह एक बड़े आदिवासी चेहरा और आदिवासी मुख्यमंत्री के दौड़ में सबसे पहले प्रमुख नाम थे। साय अविभावित मध्यप्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। साथ ही वह छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
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