पटवारियों का हुआ तबादला…23 पटवारी इधर से उधर…तहसील में जरा भी नही हुआ बदलाव…हल्का बदलकर SDM ने की खानापूर्ति…सूची हुई जारी…!

राजेन्द्र देवांगन
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पटवारियों का हुआ तबादला….23 पटवारी इधर से उधर…तहसील में जरा भी नही हुआ बदलाव….हल्का बदलकर SDM ने की खानापूर्त…सूची हुई जारी…!

बिलासपुर ऐसा लगता है की जिले के पटवारियों का बोल बाला ज्यादा है…तभी तो अपने मन के हिसाब से हल्का में जाकर जलवा बिखेर रहे है….एक तहसील से दूसरे तहसील भेजने में एसडीएम की भी कमर टूट रही है….

.हालांकि कुछ रसूखदार पटवारी है जिनको हिलाना और हटाना बहुत मुश्किल काम है….यही नहीं रिकार्ड निकाला जाएगा तो कई लोगो का चेहरा बेनकाब हो जाएगा…जो कहाँ क्या कर रहे है और क्यों कर रहे है….और अपने पसंद का हल्का क्यों ले रहे है…

आपको बताना चाहते है की मुख्यमंत्री ने बिलासपुर ज़िला में विशेषकर बिलासपुर तहसील को सुधारने के लिए ही तीन साल वाला नियम लाया था। परंतु ज़मीनी स्तर के अधिकारियों ने फिर अपनी लाल फ़ीताशाही दिखाकर वही स्थिति को जस का तस कर दिया है। पूर्व तहसीलदार के चहेते पटवारियों को बिलासपुर तहसील में ही मतलब अगल बगल हलकों में शिफ्ट कर फिर वही स्थिति बना दी है।

बिलासपुर में लिंगियाडीह पटवारी अशोक ध्रुव को बिलासपुर तहसील में चौदह साल हो गया है। परंतु अभी के ट्रांसफर लिस्ट में अशोक ध्रुव को नहीं हटाया गया। बता दें की मोपका के एक प्रकरण में पटवारी अशोक ध्रुव को सिविल कोर्ट से तीन साल की सजा सुनायी जा चुकी है।

वह हाईकोर्ट में अपील के आधार पर नौकरी कर रहा है। छ्ग लोक आयोग ने भी अशोक ध्रुव के ख़िलाफ़ कार्यवाही की अनुशंसा की थी। परंतु तत्कालीन तहसीलदार ने बचा लिया था।

इसी तरह पटवारी दिनेश वर्मा को दस साल हो गए बिलासपुर तहसील में, इधर पटवारी,अभिषेक शर्मा ,आशीष टोप्पो, प्रकाश साहू, मनोज खूँटे, आलोक तिवारी, प्रीति सिंह को तीन साल से ऊपर एक ही तहसील बिलासपुर में हो चुका है। इन पटवारियों के ख़िलाफ़ सर्वाधिक शिकायतें थी। लेकिन फिर भी ये अंगद की पाँव जैसा जमे हुए है।

कल के ट्रांस्फ़र लिस्ट में ये उसी बिलासपुर तहसील में अगल बगल के हल्के में शिफ्टिंग कराकर अपना पौवा फिर से जमा लिये। लेकिन सोचने वाला बात यह है कि ज़िला प्रशासन इन रसूखदार पटवारियों के सामने कितना बेबस और लाचार है। क़ायदे से इन चर्चित और शिकायती पटवारियों को तहसील से बाहर कर अन्यत्र तहसील में पदस्थ करना चाहिए था।

जिन पटवारियों के ख़िलाफ़ प्रशासन और एसीबी में सर्वाधिक शिकायतें है उन्हें तहसील से तीन साल के आधार पर बाहर करना था। लेकिन अधिकारियों के कारण मुख्यमंत्री की मंशा केवल बिलासपुर तहसील में सफल होते नहीं दिख रही है।

प्रशासन ने इन पटवारियों को तीन साल के आधार पर हटाने के बजाय उसी तहसील में बगल में पदस्थ कर भ्रष्टाचार को यथावत रखा है। आपको बताना चाहते है की कुछ पटवारियों से विधायक और कांग्रेस के नेताओ के अलावा भाजपा के नेता भी नाराज है।जिसके कारण उनकी शिकायत भी हो चुकी है, फिलहाल यह तबादला एक दिखावा है जिसे लोग भी समझ रहे है।

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