धरातल पर नही दिख रहा असर..!सड़कों पर घूमते मवेशियों की समस्या गोठानों से नहीं हो रही हल…मवेशी बन रहे दुर्घटना का कारण, और खुद भी हो रहे शिकार.. फेल नजर आ रहा अभियान…

राजेन्द्र देवांगन
4 Min Read
ब्यूरो रिपोर्ट प्रमिला नेताम

सुधरे व्यवस्था:सड़कों पर घूमते मवेशियों की समस्या गोठानों से नहीं हो रही हल…, फेल नजर आ रहा अभियान…

कांकेर शहर में गोठान शुरू हो चुका है लेकिन बावजूद इसके सड़कों पर मवेशियों का झुंड अब भी यहां-वहां नजर आता है। मवेशियों के सड़क पर विचरण करने से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। गोठानों में आवारा मवेशियों को ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता, इसलिए नागरियों के साथ ही समाजसेवी संस्थाएं शहर में मवेशियों के लिए गौशाला की मांग उठा रही हैं। गांव के साथ शहरी क्षेत्रों में भी गोठान बन गए हैं, लेकिन इसके बावजूद मवेशी सड़कों पर घूमते नजर आते हैं।

शहर के जवाहर वार्ड स्थित अंधियार खोप में इसी वर्ष 19 लाख की लागत से बने गोठान का शुभारंभ फरवरी में हुआ। गोठान बनने के बाद सड़क में घूमने वाले मवेशियों से निजात मिलने की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हो पाई। कांकेर शहर के गोठान में 150 मवेशियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में यहां केवल 18 मवेशी हैं।

मवेशी शहर के दूध नदी पुल, एक्सिस बैंक, घड़ी चौक, लट्‌टीपारा, ज्ञानी चौक, बरदेभाठा स्कूल चौक, सेन चौक, सिविल लाइन, पंडरीपानी मार्ग, पीजी कालेज के पास सड़क में झुंड लगाकर खड़े रहते हैं। भानुप्रतापपुर शहर के भी दल्ली रोड, बसस्टैंड, बाबा सतराम चौक, कांकेर रोड में झुंड में मवेशी रहते हैं।

भानुप्रतापपुर में गोठान तो है लेकिन मवेशियों को पकड़ने अभियान लगातार नहीं चलाया जाता। चारामा के साथ लखनपुरी, कानापोड़, रतेसरा में भी मवेशी सड़क में खड़े नजर आते हैं। पंखाजूर में भी गोठान है इसके बावजूद अस्पताल रोड, नया बाजार, आवासपारा, पुराना बाजार में मवेशी सड़कों पर जमा रहते हैं। दुर्गूकोंदल बसस्टैंड में भी मवेशी सड़कों पर ही घूमते नजर आते हैं।

गौशाला को मिलता है अनुदान, चारे की दिक्कत नहीं

जिले में शहर के साथ गांवों में गोठान तो हैं लेकिन जिले में गौशाला एक भी नहीं है। समाज सेवी संस्थाओं व धार्मिक संगठन से जुड़े लोग गौशाला खोलने मांग कर रहे हैं। गौशाला खोलने गौसेवा आयोग में पंजीयन कराना पड़ता है। गौशाला को जमीन के साथ पशुओं की संख्या, शेड आदि की जानकारी देनी होती है। गौशाला चलाने वाली संस्था को अनुदान भी मिलता है। गौशाला में घायल, बीमार मवेशियों के साथ आवारा मवेशियों को भी रखा जाता है। गौशाला में गाय को हमेशा के लिए रखा जाता है, लेकिन गोठान में कुछ दिनों के लिए ही गायों को रखा जाता है। हौसला एक प्रयास संस्था से जुड़े खेमनारायण शर्मा, बजरंग दल जिला उपाध्यक्ष राकेश यादव, बजरंग दल पूर्व विभाग संयोजक विजय जैन ने कहा जिले में गौशाला खोलने लगातार मांग की जा रही है।

गोठान में एक साथ ज्यादा मवेशियों को नहीं रखा जा सकता

सीएमओ दिनेश यादव ने कहा अभियान चलाकर सड़क पर घूमने वाले मवेशियों को गोठान लाकर कई बार रखा गया। मवेशियों के भोजन में प्रतिदिन 5 हजार तक खर्च आता है। बजट की समस्या के कारण लंबे समय पर गोठानों में मवेशियों को रखना संभव नहीं हो पाता।

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