आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ उठा था विरोध का स्वर
(संवाददाता सिरोज विश्वकर्मा)
छत्तीसगढ़ के अमर शहीद गुण्डाधुर ने बस्तर में भूमकाल आंदोलन का नेतृत्व किया था। भूमकाल क्रांति के महानायक अमर शहीद गुण्डाधुर ने आजादी के 37 साल पहले सन् 1910 में बस्तर जैसे वनांचल क्षेत्र में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी। भूमकाल आंदोलन आदिवासियों के स्वाभिमान, आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन तथा आदिवासियों की स्वतंत्रता की लड़ाई थी। उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद अंग्रेजों से लोहा लिया। वो अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। उन्होंने आदिवासी समाज को जोड़ा।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ उठा था विरोध का स्वर
दरअसल आजादी सेे पहले अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में भी विरोध का स्वर उठा था। इस विरोध को बुलंद करने में आदिवासी जननायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। इन्हीं जननायकों में से एक अमर शहीद गुुडाधुर के नेतृत्व में सन् 1910 में बस्तर में हुए भूमकाल विद्रोह में आदिवासियों ने जल, जंगल और जमीन के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ डटकर संघर्ष किया था। आदिवासी चेतना के प्रतीक के रूप में शहीद गुंडाधुर जनमानस में हमेशा से जीवित रहें हैं। उनका बलिदान हमेशा आदिवासियों को शोषण के विरूद्ध आवाज बुलंद करने का साहस देता रहेगा।
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