पुनर्वास नीति का पालन नहीं कर रहा एनटीपीसी,,, पीढ़ियाँ गुजर गई नहीं मिली नौकरी

राजेन्द्र देवांगन
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प्लांट स्थापना के 20 वर्ष बीत जाने के बाद भी पुनर्वास नीति का नहीं हो रहा भलीभांति पालन

बिलासपुर| एनटीपीसी प्लांट प्रबंधन द्वारा प्लांट स्थापना के 20 वर्षो से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी प्लांट स्थापना प्रभावित भूविस्थापित किसानो-ग्रामीणों को उचित मुआवजा, रोजगार सहित अन्य अधिकारों से वंचित रखा गया है, रोजगार के लिए किसान-ग्रामीण प्लांट प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारियो के चक्कर लगाने मजबूर है वही प्लांट के प्रदुषण की वजह से ग्रामीणों की फसले व खेत बंजर हो गए है, मवेशी असमय काल के गाल में समा रहे है व राखड बाँध की वजह से ग्रामीणों को गंभीर बीमारियों ने अपनी जकड में ले लिया है| एनटीपीसी प्लांट प्रबंधन द्वारा पुनर्वास नीति के अनुबंधों का पालन नहीं कर रही है जिसकी वजह से भूविस्थापितो को दर-दर की ठोकरे खाने मजबूर होना पड़ रहा है, भूविस्थापितो की ढेरो शिकायत करने के बाद भी प्रशासन में बैठे अधिकारी भी प्रबंधन के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं कर रहे है जिसके चलते भूविस्थापितो का जीना मुहाल है|

एनटीपीसी ने प्लांट स्थापना के लिए वर्ष 1998 में भुमिअधिग्रहित किया था तथा 21 सितम्बर 2002 को अवार्ड पारित(पुनर्वास निति) किया था जिसमे भूविस्थापित परिवार को प्लांट में नौकरी देने का प्रावधान शामिल है, कुशल व अकुशल श्रेणी पर दोनों परिस्थिति में प्लांट प्रबंधन द्वारा परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी पर रखने का नियम निहित है तथा वर्ष 2001 में भूमि अधिग्रहण के एवज में प्रभावित ग्रामीणों व किसानो को तय पैमाने से कम मुआवजा आबंटित प्लांट प्रबंधन द्वारा किया गया था| एनटीपीसी प्लांट स्थापना के 20 वर्ष बीत जाने के बाद भी पुनर्वास नीति का भलीभांति पालन नहीं कर रहा है तथा भूविस्थापितो को मुआवजा, नौकरी सहित अन्य अधिकारों से वंचित रखा गया है, एनटीपीसी प्लांट प्रबंधन की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्लांट स्थापना के 20 वर्ष बाद भी कई भुविस्थापितो को जमीन अधिग्रहण का मुआवजा, रोजगार नहीं मिला है, रोजगार दिलाने की मांग के साथ एक परिवार के दो-दो पीढ़ी गुजर गए इस दौरान भूविस्थापित व्यक्ति व उसके पुत्र की उम्र निकल गई वही रोजगार के लिए नाती-पोता प्लांट प्रबंधन व प्रशासन के अधिकारियो के दफ्तर के चक्कर लगाने मजबूर है| वर्ष 2007 में भुस्थापितो की मांग पर त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई थी जिसमे कलेक्टर, एनटीपीसी प्रबंधन व किसानो के बीच चर्चा हुई व बैठक में निर्णय भी पारित किया गया था, निर्णयानुसार एनटीपीसी से प्रभावित 1 एकड़ से ऊपर जमीन अधिग्रहण के भूविस्थापित परिवारों के 692 पदों पर वरीयता सूची के आधार पर रोजगार (नौकरी) दिया जाना तय किया गया था, इस मामले को लेकर जब भुस्थापितो ने एसडीएम से प्लांट प्रबंधन द्वारा नौकरी नहीं दिए जाने को लेकर शिकायत की तो उनके द्वारा लगातार भुस्थापितो को समय देकर पुन: व्यस्तता का हवाला देकर बाद में मिलने, भुविस्थापितो की नौकरी सूची ग्राम पंचायत में भेजने आदि कहकर टालमटोल का रवैया अपनाया जा रहा है| एनटीपीसी प्लांट प्रभावित ग्राम पंचायत रलिया, गतौरा,रांक, कौड़िया, दर्राभाठा, सीपत, जांजी, खर्रा, सुखरीपाली, सहित कई अन्य ग्राम है जिनकी किसानी जमीन का एनटीपीसी प्लांट स्थापना के लिए सैकड़ो एकड़ जमीनों का अधिग्रहण किया गया है वही भूअधिग्रहण किए जाने की वजह से इन ग्राम पंचायतो के हजारो परिवारों के बीच सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है जबकि प्लांट प्रबंधन के पुनर्वास नीति के तहत सभी प्रभावितों को रोजगार उपलब्ध कराने की अनिवार्यता है जिन्हें जमीन का सही मुआवजा व रोजगार आज पर्यन्त तक नहीं मिला है|

एनटीपीसी राखड बाँध से ग्रामीणों को हो रही भयावह परेशानिया :- एनटीपीसी प्लांट स्थापना के साथ ही प्लांट के लिए बनाए गए राखड बाँध की वजह से प्लांट से लगे ग्राम पंचायतो में जरा सा हवा चलने पर जानलेवा राखड उड़ कर ग्रामीणों के घरो, पानी के श्रोतो, खेतो, मवेशियों, खाद्य पदार्थो को प्रदूषित कर डेटा है जिसकी वजह से ग्रामीणों को भारी परेशानिया उठानी पड़ रही है| राखड बाँध की जद में आकर ग्रामीणों के मवेशी बाँध के दलदल में फसकर असमय ही काल के गाल में समा रहे है वही रलिया स्थित राखड बाँध में क्षमता से ज्यादा प्लांट ऐश (डस्ट) डालने की वजह से लगातार लोड बढ़ता जा रहा है जो कभी भी टूट सकता है| ग्रामीणों के अनुसार पिछले वर्ष बाँध से रिसाव होने व बाँध में दरार पड़ने की जानकारी प्लांट प्रबंधन को दी गई थी बावजूद इसके प्रबंधन द्वारा किसी भी तरह का मरम्मत नही कराया गया जबकि बारिश के दौरान बाँध में रिसाव लगातार होता रहा है जिसकी वजह के कई किसानो के खेत व मकान में भी राखड बाँध के पानी की वजह से जमीने बंजर होती जा रही है|

मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़के हुई खस्ताहाल :- एनटीपीसी प्लांट में परिवहन के लिए जेपी एसोसिएट के वाहन अनुबंधित है जिनके भारी व ओवर लोड वाहनो की आवाजाही की वजह से मुक्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत क्षेत्र के ग्राम पंचायतो की सुगम सड़के गड्डों में तब्दील हो गई है, कही-कही पर सड़क कम नजर आती है वही गड्डे खाई में तब्दील हो गई है जिसकी वजह से ग्रामीणों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है|

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