शिवलहरा धाम,,, प्राचीन नागवंशी गुफाएं
संवाददाता-अरुणिमा मिश्रा
कमलेश तिवारी
जिला अनुकपुर पसान मंडल,जमुना कोतमा क्षेत्र के अंतर्गत भालूमाड़ा में स्थित।शिवलहरा धाम।
स्थानीय लोगो का कहना है कि,अज्ञात वास् के लिए कई वर्ष पूर्व पांच पांडव यंहा रुके थे।और अपना अज्ञात वास् काटने के लिए यंही केवई नदी के किनारे पत्थरो को काटकर अपने रहने के लिए स्थान बनाया व पूजा के लिए मंदिरों का निर्माण किया।
इस मंदिर में पांडवों के द्वारा लिपि है जो आज तक कोई भी नही पढ़ पाया बड़ी दूर दूर से वैज्ञानिक आकर सर्च कर के जा चुके कहा जाता है कि इस लिपि को जो भी पढ़ लेगा ।जिस दीवार पे ये लिपि लिखी गई है वह दीवार खुल जाएगी।जिसके नीचे अनगिनत खजाना रखा हुआ है।
लेकिन अभी तक कोई भी नही पढ़ पाया।
यंहा पर शिव जी की प्रतिमा स्थापित है। जिसके कारण समय समय पर लोगों का तांता लगा ही रहता है,और महाशिवरात्रि के दिन दो दिवसीय मेला लगाया जाता है।जिसमे बड़ी दूर दूर से लीग आते है।यंहा का मनोरम दृश्य व चट्टानों को काटकर बनाई गई मंदिर लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है।
साथ ही 108 वर्षो से तक एक महिला रोज पूजा अर्चना करती साथ ही यंही रहती भी थी उनके भरण पोषण के लिए स्थानीय लोग आकर खाना पानी दे जाते थे अब विगत 7,8,वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया !
स्थानीय लोगो ने उनकी प्रतिमा स्थापित कर दी है जिनको सब माता जी के नाम से बुलाते थे।।उनके जाने के बाद।उस मंदिर के रख रखाव के लिए स्थानिय लोगो ने एक पंडित जी को वंहा रखा हुआ है,जिनका नाम ॐ प्रकाश मिश्रा है।यही मंदिर की देख रेख व पूजा अर्चना करते है,और वंही छोटी सी कुटिया बनाकर
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