गोवर्धन पूजा आज,,, पढ़ें पौराणिक कथा, पूजा विधि व मंत्र,,,शेषाचार्य जी महाराज
वृंदावन धाम :-दिवाली के त्योहार के बाद गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस पूजा का आरंभ भगवान कृष्ण ने किया था। इस पूजा को प्रकृति से जोड़कर देखा जाता है। पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के रूप में गाय की पूजा की जाती है। इस पूजा की शुरुआत ब्रज से हुई थी, इसके बाद पूरे भारत में प्रचलित हुई। गोवर्धन की पूजा इस बार 5 नवंबर को की जाएगी। इस दिन गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है फिर उन्हें मिठाईयां खिलाई जाती हैं। इस खास दिन पर घर का हर सदस्य रसोई में पकवान बनाता है। तो चलिए बताते हैं आपको पूजा का शुभ-मुहूर्त और पूजा करने की विधि
इस विधि से करें गोवर्धन पूजा?
सुबह उठकर शरीर पर तेल मलकर स्नान करें
घर के मेन गेट पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं
गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाएं, पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं
बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर दें
इसके बाद भगवान कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार पूजन करें उन्हें भोग लगाएं।
गोवर्धन की कथा सुनें फिर परिवार में सबको प्रसाद वितरण करें और सबके साथ भोजन करें।
गोवर्धन पूजा के दो विशेष लाभ
गोवर्धन की पूजा खासतौर से संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। साथ ही घर की आर्थिक सम्पन्नता और समृद्धि के लिए की जाती है।
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