बिलासपुर में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुई अवांछित घटना के बाद अब यह स्पष्ट रूप से दो खेमे नजर आ रहे हैं ।एक पक्ष पुलिस कार्यवाही का समर्थन कर रहा है तो वही दूसरा पक्ष इसे हिंदू धर्म पर हमला और पुलिस ज्यादती बता रहा है। पूरे मामले में आग में घी डालने का काम सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं कुछ वीडियो कर रहे हैं जिसमें कथित तौर पर हिंदुओं को अपमानित करने का आरोप लग रहा है। पिछले मंगलवार 27 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान कोतवाली थाने के सामने से गुजर रही तेलीपारा और दरबार लॉज के सामने स्थापित प्रतिमाओं की समितियों द्वारा तेज आवाज में डीजे बजाने से विवाद की शुरुआत हुई। पुलिस ने डीजे बंद कराया तो समिति के लोग बातचीत करने थाने पहुंच गए ।बताया जा रहा है कि इसी दौरान यहां मौजूद एक हेड कांस्टेबल द्वारा समिति के एक सदस्य की पिटाई कर दी गई, जिसके बाद ही पूरा मामला बिगड़ गया। पुलिस से निवेदन किया गया कि डीजे को छोड़ दिया जाए, लेकिन पुलिस अपनी जिद पर अड़ी रही इसके बाद कथित तौर पर कुछ लोगों ने थाने पर पथराव भी कर दिया और उसके बाद वह हुआ जो बिलासपुर में कभी नहीं हुआ था। थानेदार खुद लाठी लेकर दुर्गा विसर्जन के लिए निकले समिति की सदस्यों को दौड़ाते नजर आए ।भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी , जिससे अफरातफरी मच गई। यहां तक कि दुर्गा विसर्जन में शामिल लोग दुर्गा प्रतिमाओं को छोड़कर भाग खड़े हुए और मां दुर्गा की प्रतिमाये सड़क पर लावारिस हालत में खड़ी रह गई ।बिलासपुर में हर साल न सिर्फ सैकड़ों की संख्या में दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती रही है बल्कि पूरी रात झांकियों के साथ विसर्जन की भी परंपरा रही है ।कोतवाली चौक से लेकर पचरी घाट तक शाम से लेकर अगली सुबह तक होने वाले विसर्जन में शहर के सभी प्रबुद्ध लोग शामिल होते रहे हैं । चलिए माना इस बार कोरोना के कारण समय सीमा तय कर दी गई थी लेकिन धार्मिक मामलों में हमेशा से छूट देने की भी परंपरा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि हाल ही में मोहर्रम के वक्त जब लॉक डाउन था और सवारी निकालने की मनाही थी तब भी पूरी रात बैंड बाजे के साथ सवारी ने शहर का गश्त किया , उस वक्त ना तो उन्हें रोका गया और ना ही उन पर लाठीचार्ज हुआ, फिर अगर 3 समितियों की दुर्गा प्रतिमाएं कुछ देर के लिए डीजे के साथ निकल भी जाती तो क्या अनर्थ हो जाता। लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि हर बार हिंदुओं के धार्मिक मामलों में ही इस तरह के हस्तक्षेप किए जाते हैं। बात इसलिए भी बिगड़ गई क्योंकि कोतवाली थाने की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक टीआई पर है। इसलिए पूरे मामले ने धार्मिक रंग ले लिया। पुलिस ने केवल डीजे ही जप्त नहीं किया बल्कि अगले दिन समिति के 6 सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया, लेकिन लोगों ने इसे भी सहन कर लिया । मगर इसी के साथ सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल होने लगे जिसे लेकर हिंदू समाज में गहरा आक्रोश है। हिंदू धर्म से जुड़े संगठनों ने इन वीडियो को बेहद आपत्तिजनक बताया है। एक वीडियो में थानेदार हाथ में लाठी लेकर भीड़ के पीछे दौड़ रहे हैं जिसे किसी ने एडिट कर “तेरा बाप आया” गाना जोड़ दिया। एक मुस्लिम को इस तरह से मां दुर्गा के भक्तों का बाप बताना लोगों को नागवार गुजर रहा है। लोग इसे ना सिर्फ आग में घी डालना मान रहे हैं बल्कि जले पर नमक छिड़कना भी बता रहे हैं । इसी तरह से अन्य वीडियो में भी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन करने जाते लोगों पर की गई पुलिस कार्रवाई को भी बेहद अपमानजनक तरीके से पेश किया गया है, जिसे लेकर हिंदू समाज में नाराजगी है। बिलासपुर में हिंदू संगठन से जुड़े कुछ युवाओं ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत कोतवाली थाना प्रभारी कलीम खान से की है जो स्वयं एक सायबर एक्सपर्ट भी है । अगर वह चाहते तो कुछ ही देर में यह पता लगाया जा सकता था कि यह वीडियो किसने एडिट किया और इसके वायरल होने की शुरुआत कहां से हुई, लेकिन उनके द्वारा इस संबंध में किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई। जिसपर अब सवालिया निशान उठने लगे हैं ।
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