बिलासपुर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की बदहाल स्थिति पर खास रिपोर्ट

राजेन्द्र देवांगन
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बिलासपुर/कोनी।
200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया कुमार साहब स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जूदेव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल उद्घाटन के महीनों बाद भी उपयोग में नहीं आ पाया है। 240 बेड और 70 आईसीयू यूनिट स्थापित किए जाने थे, लेकिन वर्तमान में न तो बेड चालू हैं और न ही आईसीयू की सुविधाएँ मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। स्थिति यह है कि इलाज के लिए आने वाले मरीज अस्पताल से खाली हाथ लौट रहे हैं।

बेड–आईसीयू अधूरे, मरीज भटकने को मजबूर

अस्पताल में उन्नत सुविधाओं के बड़े दावे किए गए थे, लेकिन जमीनी हालात इसके उलट हैं। अस्पताल के अंदर न पर्याप्त स्टाफ है और न ही आवश्यक चिकित्सा उपकरण पूरी तरह इंस्टॉल किए गए हैं। कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।

8 मॉड्यूलर OT का दावा—एक भी संचालित नहीं

8 अत्याधुनिक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर बनाने की योजना थी। लेकिन आज की तारीख में एक भी ऑपरेशन थिएटर पूरी तरह कार्यरत नहीं है। इसके चलते अस्पताल में एक भी सर्जरी नहीं हो पाई है।

24×7 सेवा का वादा, लेकिन अस्पताल सिर्फ 10 से 5 बजे

जिस अस्पताल को 24×7 सेवा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, वह इस समय एक सरकारी दफ्तर की तरह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही काम कर रहा है।
शाम के बाद कोई मदद उपलब्ध नहीं—मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है।

उद्घाटन के समय बड़े वादे… आज हकीकत कड़वी

उद्घाटन समारोह में विष्णुदेव साय ने कहा था कि यह अस्पताल स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में नई दिशा देगा।
लेकिन ग्रामीण इलाकों और दूर-दराज से आने वाले मरीजों के लिए न रहने की सुविधा है, न तत्काल इलाज की व्यवस्था।
अस्पताल का विशाल भवन केवल दिखावा बनकर रह गया है।


प्रशासन पर उठ रहे सवाल

स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि इतने बड़े बजट वाले अस्पताल का महीनों तक बंद रहना गंभीर लापरवाही है।
लोग मांग कर रहे हैं कि चिकित्सा अधिकारी और संबंधित जिम्मेदारों से जवाब लिया जाए कि आखिर करोड़ों की लागत वाली परियोजना जनता के काम क्यों नहीं आ रही।

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