छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी…

राजेंद्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर 2025 से 25 लाख से अधिक किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत हो रही है, जहां किसानों को प्रति क्विंटल 3,100 रुपए की दर से भुगतान मिलेगा। हालांकि किसानों को धान बेचने के लिए जरूरी टोकन जारी करने वाली “टोकन तुंहर हाथ” मोबाइल ऐप फिलहाल बंद है, जिससे पंजीयन और टोकन कटने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। इसके साथ ही, सहकारी समिति के कर्मचारियों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की हड़ताल के कारण भी कई जिलों में टोकन जारी नहीं हो पा रहा है और धान खरीदी के केंद्रों पर व्यवस्था पूरी तरह से सुचारू नहीं है।

प्रदेश के प्रमुख जिलों में स्थिति इस प्रकार है:

  • रायपुर जिले में 1.34 लाख किसानों का पंजीयन है, लेकिन टोकन अधिकांश किसानों को नहीं मिले हैं।

  • दुर्ग जिले में 1.12 लाख से अधिक किसान पंजीकृत हैं, पर अब तक केवल 61 टोकन ही जारी किए गए हैं।

  • बिलासपुर जिले में करीब 1.12 लाख किसान पंजीकृत हैं, लेकिन खरीदी केंद्रों में हड़ताल जारी होने के कारण धान क्त प्राप्ति प्रभावित हो रही है।

  • बस्तर में 48 हजार से ज्यादा किसान पंजीकृत हैं, लेकिन टोकन न मिल पाने से खरीदी केंद्र खाली रहने की संभावना है।

  • रायगढ़ व सरगुजा जिलों में भी हड़ताल और तकनीकी दिक्कतों के बीच वैकल्पिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

सरकार ने कंप्यूटर ऑपरेटरों की हड़ताल के बीच वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है और अन्य विभागों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर धान खरीदी प्रक्रिया को सुचारू बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन तकनीकी खामियों के कारण ऑनलाइन टोकन सिस्टम अभी भी दुविधा में है, जिससे किसानों को टोकन पाने और धान बेचने में परेशानी हो रही है।

किसानों को बताया गया है कि टोकन मोबाइल ऐप के जरिए सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक प्राप्त किया जा सकेगा। छोटे किसान एक टोकन, मध्यम किसान दो और बड़े किसान तीन टोकन ले सकते हैं। जिन किसानों को मोबाइल चलाना नहीं आता, वे मैन्युअल रूप से समिति केंद्र जाकर भी टोकन प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि, किसान इस बीच अपनी उपज बेचने को लेकर चिंतित हैं और कई जगह हड़ताल के कारण खरीदी केंद्रों पर भीड़ कम देखी जा रही है। प्रशासन और सरकार इस मुद्दे पर तेजी से समाधान निकालने के प्रयास में हैं, ताकि खरीदी 15 नवंबर से प्रभावी ढंग से शुरू हो सके।

इस समय तक सरकार धान खरीदी के लिए 2,739 उपार्जन केंद्र स्थापित कर चुकी है, जहां तौल, बारदाना, कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं।

यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि वे अपनी फसल को समय पर उचित मूल्य पर बेचना चाहते हैं। सरकार से उम्मीद है कि तकनीकी और हड़ताल संबंधी बाधाओं का जल्द समाधान होगा।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)