छत्तीसगढ़ में सड़क सुरक्षा की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। रेत माफिया के खुले ट्रक, कोयला वाहनों की बेकाबू रफ्तार, और बेतहाशा ओवरलोडिंग ने सड़कों को मौत का मैदान बना दिया है। परिवहन विभाग की ढील, प्रशासन की चुप्पी और माफिया की मौज अब खुलेआम जनता की जान से खेल रही है।

‘मौत के ट्रक’ सड़कों पर बेकाबू — न तिरपाल, न रॉयल्टी, न डर
शहर में कई रेत भरे ट्रक बिना तिरपाल चलते हैं, कई तो बिना रॉयल्टी स्लिप के भी चलती है। यानी नियमों की खुली अवहेलना की जा रही है।
इन ट्रकों से उड़ती धूल ग्रामीण और शहर दोनों क्षेत्रों में दृश्यता घटा रही है, जिसकी वजह से दुर्घटनाओं का जोखिम कई गुना बढ़ गया है।

कोयला ढुलाई में भी भारी गड़बड़ी — काला धंधा, काले ट्रक, काला खेल
छत्तीसगढ़ में रेत ही नहीं, कोयला परिवहन भी बड़े पैमाने पर नियमों को रौंदते हुए होता है। क्षमता से दो से तीन गुना अधिक लोड कर, कई ट्रक नंबर प्लेट छिपाकर चलते हैं। ओवरलोडिंग की वजह से ब्रेक फेल, टायर ब्लास्ट जैसी घटनाएँ आम हो गई है।
वही बिना तिरपाल ढंके सड़कों पर दौड़ते ट्रकों से सड़क पर कोयला का डस्ट उड़ने के साथ ही कोयला भी गिरता है। जिससे मोटरसाइकिल सवारों को बड़ा खतरा है।

