बिलासपुर। हालिया रेल हादसे को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को रेलवे प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने रामलीला मैदान से पैदल मार्च करते हुए रेलवे जीएम कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान जीएम ऑफिस और डीआरएम कंट्रोल ऑफिस के बाहर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। एहतियातन बड़ी संख्या में पुलिस और आरपीएफ बल तैनात किया गया।
कांग्रेस की मांग है कि हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपए मुआवजा, घायलों को 50 लाख रुपए और आश्रितों को नौकरी दी जाए। नेताओं ने आरोप लगाया कि रेलवे हादसे की वास्तविक रिपोर्ट छिपाने की कोशिश कर रहा है।
मुआवजा और जांच रिपोर्ट पर तीखा विरोध
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह हादसा सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि अमानवीयता है। प्रदर्शन के दौरान अपोलो अस्पताल में भर्ती एक मासूम बच्चे का मामला भी भावनात्मक रूप से उठाया गया। पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने रेलवे अधिकारी समीरकांत माथुर को ज्ञापन सौंपकर न्यायिक जांच की मांग की।
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि 15 नवंबर तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन में मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया, जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडे समेत कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।
कैसे हुआ था हादसा
4 नवंबर की शाम को कोरबा-बिलासपुर मेमू पैसेंजर ट्रेन गतौरा स्टेशन के पास मालगाड़ी से टकरा गई थी। टक्कर इतनी भीषण थी कि पैसेंजर ट्रेन का इंजन मालगाड़ी की बोगी के ऊपर चढ़ गया। हादसे में लोको पायलट विद्यासागर की मौत हो गई, जबकि सहायक लोको पायलट रश्मि राज घायल हैं।
प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे
रेलवे की पांच सदस्यीय टीम की शुरुआती जांच रिपोर्ट के अनुसार, मेमू ट्रेन ने खतरे का सिग्नल पार किया, जिससे टक्कर हुई। जांच में यह भी सामने आया कि लोको पायलट विद्यासागर साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हुए थे, फिर भी उन्हें पैसेंजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) बीके मिश्रा ने मौके का निरीक्षण कर जांच पूरी कर ली है। उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट 15 नवंबर तक आने की उम्मीद है।

