सुकमा (छत्तीसगढ़), 6 सितम्बर 2025
जिले की स्वास्थ्य विभाग भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में घिर गई है। भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों ने जिला प्रशासन की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि CMHO और कलेक्टर की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर मनमानी की गई, जिससे योग्य उम्मीदवारों का भविष्य अंधेरे में धकेल दिया गया।
पक्षपात का खुला खेल
●दोरना के भाजपा नेताओं की सिफारिश पर एक अभ्यर्थी को दो घंटे देरी से पहुँचने के बावजूद परीक्षा में बैठने दिया गया।
●वहीं कई उम्मीदवारों को महज पाँच मिनट की देरी पर बाहर कर दिया गया।
●इस दोहरे मापदंड ने अभ्यर्थियों में गहरा आक्रोश फैला दिया है।


दस्तावेजों की अनदेखी और दोहरा मापदंड
मामला यही नही रुका, दावा आपत्ति में जिन उम्मीदवारों के दस्तावेज अधूरे थे, उन्हें ‘पात्र’ घोषित किया गया, जबकि कई ऐसे अभ्यर्थी, जिनके पास समस्त वैध दस्तावेज मौजूद थे, केवल लिफाफे में पद का नाम न लिखे होने के कारण उन्हें ‘अपात्र’ कर दिया गया।

शिकायत पर भी बंद दरवाजे
अपात्र घोषित किए गए कई अभ्यर्थियों ने जब CMHO और कलेक्टर से मिलने की कोशिश की तो उन्हें मिलने से साफ मना कर दिया गया। अधिकारियों ने उनकी बात सुनने से इनकार करते हुए, अपनी ‘आपत्ति’ जताई और दरवाजा बंद करवा दिया।

स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की गूंज
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी के कार्यकाल में इस तरह की धांधली ने अभ्यर्थियों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। वे मांग कर रहे हैं कि –
पूरी भर्ती प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच हो।
जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं पर कड़ी कार्रवाई हो।
भर्ती को निरस्त कर निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत दोबारा परीक्षा कराई जाए।

अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़
आरोप है कि कुछ अधिकारी और नेताओं द्वारा अपनी जेब भरने के लिए लेन देन कर योग्य अभ्यर्थी को अपात्र कर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। दूर दराज से आए अभ्यर्थी जिनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा पर उनकी बात सुनने को कलेक्टर और CHMO भी राजी नहीं।
अराजक परीक्षा व्यवस्था
दावा–आपत्ति की अंतिम तिथि 4 सितम्बर रखी गई,
निराकरण सूची 5 सितम्बर की छुट्टी वाले दिन शाम 5 बजे जारी की गई,
और 6 सितम्बर सुबह 11 बजे ही परीक्षा आयोजित कर दी गई।
दूर-दराज़ से आए अभ्यर्थियों के पास न तो ठीक से सूची देखने का समय था और न ही परीक्षा स्थल की जानकारी। परीक्षा हॉल में ना रोल नंबर दिए गए, ना सुव्यवस्थित व्यवस्था—एक ही टेबल पर 4–5 अभ्यर्थियों को बैठा दिया गया।

क्या कहती है शासन-प्रशासन ?
अब देखना यह होगा कि सुकमा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले में क्या सफाई देते हैं। सवाल यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री तक यह आवाज पहुँचेगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दब कर रह जाएगा?
क्या अपात्र किए गए पात्र अभ्यर्थियों के साथ न्याय होगा?
क्या भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर न्याय करते हुए भर्ती प्रक्रिया दोबारा कराया जाएगा?
क्या यह भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर फिर से पात्र अभ्यर्थी को मौका दिया जाएगा?
अभ्यर्थियों की मांग है उनके साथ हो रहे दोहरा व्यवहार बंद कर इस पूरे प्रक्रिया को निरस्त कर फिर से भर्ती प्रकिया की जाए।
