छत्तीसगढ़ महिला आयोग में हंगामा! अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप – सदस्य बोले, ‘अकेले फैसले लेती हैं’

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एक बार फिर सुर्खियों में है। आयोग के भीतर घमासान मचा हुआ है। भाजपा सरकार आने के बाद नियुक्त हुईं तीन सदस्य — लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका सोरी — ने अध्यक्ष किरणमयी नायक और सचिव अभय सोनवानी पर गंभीर आरोपों की बौछार कर दी है। इससे पहले कुछ आवेदको का भी कहना था उनको इंसाफ नहीं मिल रहा महिला आयोग में केस दबाया जाता है पैसे से काम होता है।

तीनों सदस्यों का कहना है कि आयोग में नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, और अध्यक्ष पूरे सिस्टम को मनमानी तरीके से चला रही हैं।

“अध्यक्ष अकेले ही निर्णय लेती हैं, जबकि नियम के मुताबिक दो सदस्यों की सहमति जरूरी होती है,” — तीनों सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।

सदस्यों का यह भी आरोप है कि सुनवाई के दौरान अनधिकृत लोग, यहां तक कि अध्यक्ष के पति और निजी वकील, तक मौजूद रहते हैं। यह न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि पूरी सुनवाई प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।


पुराने आरोप फिर चर्चा में – पैसे लेकर केस दबाने की बात!

यह पहला मौका नहीं जब किरणमयी नायक और अभय सोनवानी विवादों में हैं। पहले भी कई आवेदिकाओं ने खुलकर आरोप लगाए थे कि “पैसे लेकर केस दबा दिए जाते हैं।”
महिला आयोग में आज भी हजारों मामले लटके हुए हैं, जिनकी सुनवाई तक नहीं हुई।
इंसाफ की आस में महिलाएँ महीनों से भटक रही हैं, लेकिन उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं।


बड़ा सवाल — FIR के बाद भी अभय सोनवानी की गिरफ्तारी क्यों नहीं?

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अभय सोनवानी पर FIR दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गिरफ्तारी तो दूर, वह अब भी नौकरी पर बहाल हैं!
क्या सरकारी संरक्षण के चलते सबकुछ दबाया जा रहा है?
क्या न्याय की कुर्सी पर बैठे लोग खुद अन्याय का खेल खेल रहे हैं?


जनता पूछ रही — “आख़िर आयोग में इंसाफ कब मिलेगा?”

महिला आयोग, जो महिलाओं की आवाज़ बनने के लिए बनाया गया था, अब खुद विवाद और भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है।
आवेदिकाएँ निराश हैं, सदस्य नाराज़ हैं — और अध्यक्ष पर सवालों की बौछार जारी है।

अब देखना ये है कि सरकार इस ‘मनमानी के साम्राज्य’ पर कब लगाम लगाती है,
या फिर छत्तीसगढ़ की महिलाएँ इंसाफ की आस में यूँ ही दर-दर भटकती रहेंगी।

सचिव अभय सोनवानी ने अपने बचाव में उठाया कदम, सदस्यों पर लगाया झूठे आरोप फैलाने का आरोप:
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में चल रहे विवाद के बीच अब आयोग के सचिव अभय सोनवानी ने भी मोर्चा संभाल लिया है। सोनवानी ने आयोग की तीन सदस्य—लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका सोरी—द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ फैलाए जा रहे “झूठे एवं भ्रामक” बयानों का लिखित खंडन किया है। जबकि अभय सोनवानी पर पहले भी पीड़ित आवेदिकाओ द्वारा आरोप लगाया गया था कि पैसे लेकर उनके केस दबाया जाता है।

सोनवानी ने आयोग के अध्यक्ष और सचिव को संबोधित पत्र में कहा है कि तीनों सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ एवं अनुशासनहीनता के चलते आयोग की कार्यप्रणाली को बाधित किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि “सदस्यों द्वारा बार-बार विभागीय अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मनगढ़ंत कहानियाँ और गलत आरोप प्रचारित किए जा रहे हैं।”

” अब देखना यह है कि अभय सोनवानी पर कार्यवाही होती है या बाकी 3 सदस्यों पर “

पत्र में सोनवानी ने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में सदस्यों की ओर से उनके खिलाफ दो अधिकारियों से 25 हजार रुपये लेने के झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि “ये सभी आरोप निराधार, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण हैं।”

सोनवानी ने आगे कहा कि वह पिछले तीन वर्षों से महिला आयोग में पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं और उनके ऊपर लगाए जा रहे सभी आरोपों का उद्देश्य उन्हें और आयोग की अध्यक्ष को बदनाम करना है। जबकि पहले भी अभय पर ऐसे आरोप लगाया गया था।

गौरतलब है कि इससे पहले पीड़ित आवेदिकाओ ने महिला आयोग पर केस के फैसले ने देरी और पैसे के लेन देन कर मामले को दबाने की बात कही वही महिला आयोग की तीनों सदस्यों ने अध्यक्ष किरणमयी नायक और सचिव अभय सोनवानी पर मनमानी और एकतरफा निर्णय लेने के गंभीर आरोप लगाए थे। अब सचिव के इस जवाबी कदम से आयोग में चल रहा विवाद और भी तेज़ हो गया है।

” क्या महिला आयोग के कर्मचारियों की स्थान परिवर्तन किया जाएगा ?
क्या महिला आयोग के अध्यक्ष किरणमयी नायक और संबंधित अधिकारी/सदस्य को उनके वर्तमान पद से हटाया गया जाएगा तथा समीक्षा उपरांत उन्हें पुनः उसी पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है / की जाएगी?
कब मिलेगा पीड़िताओं को न्याय?
महिला आयोग में लंबित मामलों की सुनवाई क्यों नहीं हो रही है ?
क्यों सालों से केस दबाया जा रहा है ?

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