दहशत कायम रखने का पुराना खेल
बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादी फिर से अपनी पुरानी रणनीति पर लौट आए हैं। वे निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाकर झूठे मुखबिरी के आरोप लगाते हैं और उनकी हत्या कर स्थानीय लोगों में भय फैलाते हैं।
शिक्षा पर सीधा प्रहार
सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों में पिछले 18 महीनों में माओवादियों ने 8 शिक्षादूतों की निर्मम हत्या की।
ये सभी युवा दुर्गम इलाकों में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे थे। माओवादियों की हिंसा ने उन गांवों में शिक्षा की रोशनी पर ही हमला कर दिया है।
- कई गाँवों के स्कूल फिर से बंद होने के कगार पर हैं।
- ग्रामीण परिवार बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
- बच्चे पढ़ाई से कटकर फिर से मजबूरी में मजदूरी की ओर लौट सकते हैं।
IG सुंदरराज पी का सख्त रुख
बस्तर IG सुंदरराज पी ने इन हत्याओं को माओवादियों की निराशा और हताशा बताया। उन्होंने कहा –
- “निर्दोष शिक्षादूतों को मुखबिर बताना केवल जनता को डराने की चाल है। लेकिन अब एक-एक कैडर और उनके सहयोगियों की पहचान कर सख्त सजा दी जाएगी।”
- उन्होंने चेतावनी दी कि सुरक्षा बल अब और आक्रामक रुख अपनाएंगे।
जनता के लिए संदेश
IG ने स्पष्ट कहा कि माओवादी अब सिर्फ खौफ के सहारे अपनी मौजूदगी जताना चाहते हैं, लेकिन जनता को उनके इस कायराना खेल का शिकार नहीं बनना चाहिए।
उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे शिक्षादूतों का साथ दें और बच्चों को पढ़ाई से दूर न करें।