बिरगांव में अतिक्रमण हटाने की मुहिम पर उठे सवाल, लोगों ने बताया कार्रवाई पक्षपातपूर्ण

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर -राजधानी रायपुर के बिरगांव नगर निगम में इलाके के अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर नगर निगम द्वारा की जा रही कार्रवाइयों को लेकर अब लोगों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है। निगम द्वारा लगातार चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान पर स्थानीय लोगों ने सवाल खड़े करते हुए इसे एकतरफा और पक्षपातपूर्ण करार दिया है। लोग निगम के इस रवैए से न सिर्फ परेशान है बल्कि आक्रोशित भी हैं उनकी नाराजगी खुल कर सामने दिख रही है ।

बिरगांव में अतिक्रमण हटाने की मुहिम पर उठे सवाल,

मामला 8 जुलाई, मंगलवार का है, जब दोपहर करीब तीन बजे नगर निगम की टीम उरला चौक (जिसे कर्मा माता चौक भी कहा जाता है) पहुंची और वहां पिछले दो वर्षों से ठेला लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे एक व्यापारी का ठेला बिना किसी नोटिस के जब्त कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अधिकारियों ने बातचीत या चेतावनी दिए बिना ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए ठेले को उठवा लिया। व्यापारी का कहना है कि उसके ठेले की कीमत करीब पच्चीस हजार रुपये थी, लेकिन उसे सामान हटाने तक का मौका नहीं दिया गया। नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी आकर बिना नोटिस या जानकारी के गली गलौज कर ठेले व सामान को तहस नहस कर दिए इतना ही नहीं उनके साथ बत्तीमीज़ जोर जबरदस्ती से उनको हटाया भी गया।


व्यापारी ने यह भी दावा किया कि वह केवल पानी के पाउच और डिस्पोजल गिलास बेचता था, जबकि निगम ने बिना जांच के उसे अतिक्रमण मानकर कार्रवाई कर दी। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने भी सवाल उठाए हैं कि वहीं पास में अन्य ठेले भी मौजूद हैं, जिनमें मांसाहारी वस्तुएं बेची जाती हैं, जबकि पास ही एक मंदिर भी है। इसके बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। एक जगह एक साथ सभी ठेले होने के बावजूद किसी एक पर ही कार्यवाही क्यों?

लोगों ने बताया कार्रवाई पक्षपातपूर्ण

लोगों का कहना है कि निगम कुछ विशेष लोगों को ही निशाना बना रहा है और सभी के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा है। पीड़ित ठेलेवाले ने सवाल उठाया कि यदि कार्रवाई हो रही है तो बाकी ठेले अब भी क्यों मौजूद हैं।

स्थानीय नागरिकों ने इस पूरी घटना को अनुचित, मनमानी और पारदर्शिता से परे बताते हुए मांग की है कि भविष्य में कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष और उचित प्रक्रिया के तहत की जाए। बिना किसी नोटिस या जानकारी के ऐसे किसी की जीवन यापन को तहस नहस करना ये सही नहीं हैं और कार्यवाही होना ही है तो सभी पर होना चाहिए।

पहले भी ऐसे मामले सामने आये है जिसमें नगर निगम की क्रूरता सामने आया है रोड चौड़ी करण के समय भी ऐसे कई लोगों के घर बिना किसी नोटिस या जानकारी के उजाड़ा गया था और अब किसी के जीवन यापन की जरिया छीन लिया जा रहा हैं।

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