रायपुर महिला थाना पर गंभीर आरोप: दहेज प्रताड़ना जैसे मामलों में FIR के बाद लापरवाही, पीड़िता को दबाव में केस वापस लेने को मजबूर किया गया!

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर |छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित महिला थाना एक बार फिर विवादों के घेरे में है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए स्थापित यह थाना अब खुद ही सवालों के कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। गंभीर आरोप हैं कि यहां दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा जैसी गंभीर शिकायतों पर एफआईआर तो दर्ज की जाती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।

शादी के दूसरे दिन से ही शुरू हुआ उत्पीड़न

24 अप्रैल 2024 को हिंदू रीति-रिवाज से शादी के बाद पीड़िता के जीवन में खुशियों की जगह दहेज की मांगों ने ले ली। लाखों के गहने, चेक, वाहन और घरेलू सामान देने के बाद भी उसे ससुराल वालों—सास, ससुर, जेठानी, देवरानी और ननद —द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पति के गंभीर मानसिक और शारीरिक समस्याएं सामने आने के बावजूद इलाज से इनकार किया गया , पति के शरीर में स्वयं के द्वारा शादी से पहले आत्म हत्या किए गए जिसके कई निशान मौजूद और शादी के बाद पीड़िता को मार पीट कर कमरे में बंद कर रखा गया।

झारखंड में हत्या की कोशिश, बीच रास्ते में छोड़ा
एक बार तो पति ने अपने दोस्त के साथ मिलकर पीड़िता को झारखंड ले जाकर जान से मारने की साजिश रची, और जब सफल नहीं हुए तो उसे रास्ते में अकेला छोड़कर भाग गया।

FIR में घोटाला, कार्रवाई में देरी

पीड़िता की शिकायत पर रायपुर महिला थाने में BNS धारा 85/2024 के तहत एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने केस को कमजोर करने के लिए जानबूझकर ससुराल पक्ष के अन्य लोगों के नाम एफआईआर से हटा दिए। 8 महीने तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई। जब पति को गिरफ्तार किया गया, तब जाकर पीड़िता को पता चला कि बाकी आरोपियों को बचा लिया गया है। अंदेशा लापरवाही और लेन देन की लगाई जा रही।

क्या पुलिस ने सही धाराएं नहीं लगाईं?

पीड़िता के आरोपों के आधार पर पुलिस को भारतीय न्याय संहिता की निम्न धाराएं भी लगानी चाहिए थीं:

धारा 85: पति या उसके परिजनों द्वारा क्रूरता

धारा 86: दहेज संबंधित प्रताड़ना

धारा 120: धोखाधड़ी

धारा 354: महिला का अपमान करने हेतु हमला या बल प्रयोग

लेकिन पुलिस ने सिर्फ धारा 85 में मामला दर्ज कर, बाकी धाराओं को नज़रअंदाज़ कर दिया।

थाना बदला, भ्रष्टाचार नहीं

यह पहला मामला नहीं है जब रायपुर महिला थाने की कार्यशैली पर सवाल उठे हों। इससे पहले भी टीआई कविता धुर्वे को हटाया गया था, और 2024 में टीआई वेदवती दरियो को एंटी करप्शन ब्यूरो ने रिश्वत लेते पकड़ा। इसके बावजूद व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। उसी प्रकार 2025 में भी बहुत से मामले सामने आए जिसमें वर्तमान महिला थाना प्रभारी द्वारा बहुत से पीड़िताओं के केस में लापरवाही बरतने की गंभीर आरोप हैं।

सरकार और आयोग की चुप्पी बेहद शर्मनाक

इस मामले में राज्य सरकार, ग्रह मंत्री और महिला आयोग की चुप्पी चिंता का विषय है। जब न्याय की उम्मीद देने वाली संस्थाएं ही खामोश हो जाएं, तो पीड़ित महिलाएं कहाँ जाएं? ‘बेटी बचाओ’ जैसे नारे क्या सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक ही सीमित रहेंगे?

अब दर-दर की ठोकरें खा रही है पीड़िता

न्याय के लिए भटक रही महिला आज भी अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रही है। सभी आंखे बंद किए है पीड़िता ससुराल से प्रताड़ित एक तरफ़ शासन और विभाग की लापरवाही से परेशान, उसकी मांग है कि पुलिस विभाग और जिम्मेदार संस्थाएं तत्काल निष्पक्ष कार्यवाही करें और दोषियों को सज़ा दिलाएं।

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