बस्तर में माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन: कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर 5 नक्सली ढेर, सीएम साय ने जवानों के शौर्य को सराहा

राजेंद्र देवांगन
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रायपुर, 29 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर माओवादियों के खिलाफ चल रहा अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन सातवें दिन भी जारी है। सुरक्षा बलों ने 5 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें 3 महिला नक्सलियों के शव और हथियार बरामद किए गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवानों के अदम्य साहस और शौर्य की सराहना करते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 44 डिग्री की भीषण गर्मी, पानी की कमी, और बिना छांव की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी जवान डटकर मुकाबला कर रहे हैं।

कर्रेगुट्टा ऑपरेशन: निर्णायक लड़ाई का केंद्र
बीजापुर के उसूर थाना क्षेत्र में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी माओवादियों का प्रमुख गढ़ मानी जाती है। पुलिस को सूचना मिली थी कि शीर्ष नक्सली कमांडर हिडमा, देवा, और विकास सहित PLGA बटालियन नंबर-1 के 500 से अधिक कैडर इस इलाके में मौजूद हैं। इसके आधार पर छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और महाराष्ट्र की संयुक्त फोर्स ने लगभग 10,000 जवानों के साथ ऑपरेशन शुरू किया। सुरक्षा बलों ने 12 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर नक्सलियों के ठिकाने तक पहुंच बनाई है।

मुठभेड़ और बरामदगी
पिछले सात दिनों से रुक-रुक कर चल रही मुठभेड़ में अब तक 5 नक्सली मारे गए हैं। गुरुवार को तीन महिला नक्सलियों को ढेर किया गया, जिनके शव और भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद बरामद हुए। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि ऑपरेशन में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), CRPF, CoBRA, और तेलंगाना की ग्रेहाउंड फोर्स शामिल हैं। ड्रोन, सैटेलाइट, और MI-17 हेलीकॉप्टर की मदद से इलाके की निगरानी और सप्लाई सुनिश्चित की जा रही है।

सीएम साय का बयान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रायपुर में अधिकारियों के साथ बैठक कर ऑपरेशन की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा, “हमारे वीर जवान कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर 44 डिग्री की तीव्र गर्मी और पानी-छांव की कमी जैसी विषम परिस्थितियों में भी रणभूमि में डटे हैं। उनका शौर्य और पराक्रम नक्सलवाद के खात्मे की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।” साय ने डबल इंजन सरकार की नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराते हुए कहा कि बस्तर में शांति और विकास उनकी प्राथमिकता है।

नक्सलियों की शांति वार्ता की अपील
ऑपरेशन के दबाव में माओवादियों ने शांति वार्ता की गुहार लगाई है। CPI (माओवादी) के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने पत्र जारी कर सरकार से ऑपरेशन रोकने और एक महीने के युद्धविराम की मांग की है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सलियों को आत्मसमर्पण करना होगा, वरना ऑपरेशन जारी रहेगा।

चुनौतियां और जवानों की स्थिति
भीषण गर्मी के कारण 40 से अधिक जवान डिहाइड्रेशन का शिकार हो चुके हैं और उन्हें तेलंगाना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बावजूद, जवान मोटरबाइक और हेलीकॉप्टर की मदद से रसद और हथियारों के साथ ऑपरेशन को आगे बढ़ा रहे हैं। चेरला गांव को ऑपरेशनल लॉन्चपैड बनाया गया है, जहां से इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग ड्रोन निगरानी कर रहे हैं।

नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति
सीएम साय ने कहा कि नई नक्सल पुनर्वास नीति और ‘नियद नेल्लानार’ जैसी योजनाओं से बस्तर में जनता का भरोसा बढ़ा है। पिछले डेढ़ साल में 359 हार्डकोर नक्सली मारे गए और 1,314 ने आत्मसमर्पण किया है। साय ने दावा किया कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है।

आगे क्या?
पुलिस का मानना है कि यह ऑपरेशन माओवादियों की सैन्य ताकत, खासकर PLGA बटालियन नंबर-1 और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी को कमजोर करेगा। हिडमा जैसे शीर्ष कमांडरों के इलाके में होने की संभावना से ऑपरेशन का महत्व और बढ़ गया है। यह ऑपरेशन एक महीने तक चल सकता है, और सुरक्षा बल पूरे इलाके को घेरे हुए हैं।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)