डोंगरगढ़ रोपवे हादसा: मां बम्लेश्वरी रोपवे संचालन समिति पर FIR, जांच समिति गठित, बिजली विभाग और कंपनी में ठनाठनी

राजेंद्र देवांगन
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डोंगरगढ़, 27 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी मंदिर के रोपवे हादसे के बाद मां बम्लेश्वरी रोपवे संचालन समिति पर डोंगरगढ़ थाने में FIR दर्ज की गई है। भाजपा की ओर से दर्ज इस FIR में समिति पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है। हादसे में भाजपा प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा और अन्य बाल-बाल बचे। जिला प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो 7 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।

हादसे का विवरण

25 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 1:30 बजे मां बम्लेश्वरी मंदिर की पहाड़ी से नीचे उतरते समय रोपवे की ट्रॉली स्टेशन के पास अचानक टूटकर पलट गई। ट्रॉली में पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा, भाजपा प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा, मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, दया सिंह, और दो अन्य लोग सवार थे। हादसे में भरत वर्मा को गंभीर चोटें आईं, जिनमें हाथ की हड्डी टूटने की आशंका है। उन्हें रायपुर के अस्पताल में भर्ती किया गया है। अन्य लोगों को मामूली चोटें आईं। हादसे के बाद रोपवे संचालन तत्काल बंद कर दिया गया।

FIR और लापरवाही के आरोप

भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह ने संगठन के निर्देश पर मां बम्लेश्वरी रोपवे संचालन समिति के खिलाफ FIR दर्ज कराई। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही का मामला बताते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की। स्थानीय लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही, जबकि अवैध चबूतरे और VIP दबाव में संचालन के आरोप लग रहे हैं।

रोपवे संचालक कंपनी दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड ने हादसे का कारण बिजली में उतार-चढ़ाव (फ्लक्चुएशन) बताया। साइट इंचार्ज धर्मेंद्र ठाकुर ने दावा किया कि बिजली की समस्या से ट्रॉली का संतुलन बिगड़ा।

बिजली विभाग का जवाब

बिजली विभाग (सीएसपीडीसीएल) ने कंपनी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हादसे के समय डोंगरगढ़ सब स्टेशन से कोई फ्लक्चुएशन नहीं था। इंजीनियर एनके साहू ने बताया कि रोपवे के लिए 125 केवीए का उच्च दाब कनेक्शन लिया गया है, और ट्रांसफॉर्मर का रखरखाव कंपनी की जिम्मेदारी है। बिजली विभाग ने कंपनी के खिलाफ अलग से शिकायत दर्ज कराई है।

जांच समिति का गठन

राजनांदगांव कलेक्टर ने हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय जिला स्तरीय समिति गठित की है, जिसमें शामिल हैं:

  • एनके साहू (कार्यपालन अभियंता, सीएसपीडीसीएल, डोंगरगढ़)
  • आरएल गायकवाड़ (लोक निर्माण विभाग, दुर्ग)
  • पंचराम ठाकुर

यह समिति 7 दिनों में घटनास्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। प्राथमिक जांच में मेंटेनेंस में लापरवाही को हादसे का कारण माना जा रहा है।

हादसे का पृष्ठभूमि और प्रभाव

रामसेवक पैकरा, जो छत्तीसगढ़ वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं, कुदरगढ़ मंदिर में रोपवे स्थापित करने की योजना के सिलसिले में डोंगरगढ़ आए थे। वे मंदिर ट्रस्ट के साथ बैठक करने और रोपवे संचालन का अध्ययन करने पहुंचे थे। हादसे ने उनकी इस योजना पर भी असर डाला है।

हादसे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और धरमलाल कौशिक घायल भरत वर्मा से मिलने रायपुर के अस्पताल पहुंचे। कई भाजपा नेताओं, जिसमें रेणुका सिंह, आशा साव, और विजय शर्मा शामिल हैं, ने हादसे पर दुख जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

रोपवे संचालन और सुरक्षा पर सवाल

मां बम्लेश्वरी मंदिर में रोपवे की सुविधा 1600 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए है, जो विशेषकर नवरात्रि में लाखों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है। सामान्य दिनों में यह सोमवार से शनिवार तक सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे और 3 बजे से शाम 6:45 बजे तक चलता है, जबकि रविवार को सुबह 7 बजे से रात 7 बजे तक। नवरात्रि में 24 घंटे संचालन होता है।

हादसे ने रोपवे की सुरक्षा व्यवस्था और मेंटेनेंस पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। झारखंड के देवघर त्रिकूट रोपवे हादसे (2022) का जिक्र करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित सेफ्टी ऑडिट और मानकों का पालन जरूरी है। देवघर हादसे में मेंटेनेंस की कमी और सेफ्टी ऑडिट की अनदेखी सामने आई थी।

हादसा पर सवाल

हादसे ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में डर पैदा कर दिया है। मां बम्लेश्वरी मंदिर, जो 2200 साल पुराना शक्तिपीठ है, देश-विदेश से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इस हादसे ने मंदिर ट्रस्ट और रोपवे संचालक कंपनी की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि जांच निष्पक्ष हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

यह हादसा न केवल तकनीकी लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा मानकों को सख्त करने की जरूरत को भी रेखांकित करता है।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)