मुंगेली, 21 जनवरी 2025 // प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले में गिरफ्तार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आज कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने लखमा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, और अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
‘निर्दोष हूं, साजिश के तहत फंसाया गया’ – लखमा
कोर्ट में पेशी के दौरान कवासी लखमा ने मीडिया से चर्चा में खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कहा, “मुझे देश के कानून पर भरोसा है, परेशान जरूर होंगे, लेकिन जीत सत्य की होगी।” लखमा ने करोड़ों रुपये मिलने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके पास एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है।
‘आदिवासियों की आवाज दबाने की कोशिश’
लखमा ने राज्य सरकार पर आदिवासियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब तक जेल में रखेंगे, तब तक जनता की आवाज उठाते रहूंगा। बस्तर में सच बोलने वाले को मारा जाता है, और झूठे केस में फंसाया जाता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि नगरनार स्टील प्लांट को बेचा जा रहा है और अबूझमाड़ में सेना बैठाई जा रही है।
ED का दावा – हर महीने मिलते थे 2 करोड़ रुपये
ED के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे, जिनसे उन्होंने कांग्रेस भवन और अपना आलीशान घर बनवाया। जांच में पाया गया कि 36 महीनों में 72 करोड़ रुपये का प्रोसीड ऑफ क्राइम उनके बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन के निर्माण में लगाया गया।
ईडी ने बताया कि लखमा को शराब कार्टेल से हर महीने 50 लाख रुपये मिलते थे, और बाकी 1.5 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमीशन के रूप में दिया जाता था। अधिकारियों ने बताया कि पैसे का प्रबंध कर सुकमा भेजा जाता था, और डिजिटल साक्ष्य में भी यह पुष्टि हुई है।
28 दिसंबर को ईडी ने मारा था छापा
ईडी ने 28 दिसंबर 2024 को लखमा के रायपुर स्थित बंगले सहित कई स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनके बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर भी जांच की गई थी।
क्या है शराब घोटाला मामला?
ईडी के अनुसार, भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल (2019-2022) में लाइसेंसी शराब दुकानों में नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। उत्तर प्रदेश की प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को नियमों में संशोधन कर टेंडर दिया गया था।
ईडी की जांच में कंपनी के मालिक विधु गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी के नाम सामने आए, जिनकी गिरफ्तारी के बाद लखमा का नाम उजागर हुआ।