महाकुंभ 2025: पांच देशों की संस्कृतियां एक छत के नीचे, संत-भक्तों का भव्य समागम

राजेन्द्र देवांगन
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प्रयागराज, 10 जनवरी 2025 – इस बार महाकुंभ में आध्यात्मिकता और संस्कृति का वैश्विक संगम देखने को मिलेगा। पहली बार पांच देशों—भारत, नेपाल, जापान, रूस और यूक्रेन के संत-भक्त एक साथ एक ही शिविर में कल्पवास करेंगे और अपनी-अपनी परंपराओं का संगम प्रस्तुत करेंगे।

वैश्विक आध्यात्मिकता का केंद्र बनेगा सेक्टर 18

सेक्टर 18, संगम लोवर मार्ग पर स्थापित श्रद्धा सेवा शिविर इस अनूठे सांस्कृतिक मिलन का साक्षी बनेगा। यहां जापान से आए 200 से अधिक बौद्ध धर्म अनुयायी सनातन परंपरा में रंगने के लिए पहुंचे हैं। इनका मार्गदर्शन योग माता केको आईकावा (कैला नंदगिरि) करेंगी, जो 11 जनवरी को शिविर में शामिल होंगी।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बावजूद, यूक्रेन के पूर्वी रूढ़िवादी संत और सैकड़ों भक्त भी इस शिविर में आध्यात्मिक शरण लेंगे। वे स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि के साथ महाकुंभ में शामिल होंगे। इनके लिए विशेष रूप से श्रद्धा सेवा शिविर में आवास और अनुष्ठान स्थल तैयार किया गया है।

नेपाल से आने वाले संत भी अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं के साथ इस शिविर में कल्पवास करेंगे।

विशेष सुविधाओं से सुसज्जित भव्य शिविर

श्रद्धा सेवा शिविर को 10 बीघा क्षेत्रफल में विकसित किया गया है, जिसमें संतों और भक्तों की सुविधा के लिए हर आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।

  • आधुनिक टाइल्स से सुसज्जित फर्श
  • शीशे की हवादार खिड़कियां और आरामदायक सोफे, पलंग
  • वाई-फाई युक्त वातानुकूलित सत्संग कक्ष
  • मॉड्यूलर किचन, डीलक्स कक्ष और आधुनिक प्रसाधन

महामंडलेश्वर योगमाता चेतना गिरि, योगमाता श्रद्धानंद गिरि, शैलेशानंद महाराज और खप्पर बाबा इस शिविर में प्रवास करेंगे।

परंपरागत पूजा-अनुष्ठानों की विशेष व्यवस्था

शिविर में एक विशाल यज्ञ वेदी तैयार की गई है, जहां भक्तगण घरेलू वेदियों पर लोक देवी, पूर्वजों और आत्माओं की पूजा करेंगे। विदेशी भक्तों को भारतीय सनातन परंपरा का अनुभव कराने के लिए विशेष अनुष्ठानों की व्यवस्था की गई है।

मेला प्रशासन से कोई सहायता नहीं, निजी प्रयासों से तैयार हुआ शिविर

शिविर के संयोजक खप्पर बाबा ने बताया कि श्रद्धा सेवा शिविर पूरी तरह से निजी प्रयासों से तैयार किया गया है और इसके लिए मेला प्रशासन से कोई सुविधा नहीं ली गई है।

महाकुंभ में पहली बार आध्यात्मिक वैश्विक संगम

महाकुंभ 2025 में यह पहली बार होगा जब पांच देशों की संस्कृतियां एक साथ मिलेंगी और अध्यात्म के रंग में रंगेंगी। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक एकता का संदेश देगा बल्कि सांस्कृतिक मेल-मिलाप का भी प्रतीक बनेगा।

 

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